कोरोना काल की तीन छोटी कहानियाँ
(1) अधूरी बातचीत कोविड वार्ड में ड्यूटी करते-करते अब तो उसको कई महीने बीत चुके हैं। कभी-कभी उसे लगता है ...
(1) अधूरी बातचीत कोविड वार्ड में ड्यूटी करते-करते अब तो उसको कई महीने बीत चुके हैं। कभी-कभी उसे लगता है ...
(01.) उदासी की उंगली थाम खुशी की तलाश में ये संभव है कि उदास होने के हज़ार बहाने हो हमारे ...
1. याचिका वो चाहता है कम से कम हों दीवारघड़ियां, अलार्मघड़ियां और हाथघड़ियां सिर्फ जरूरत भर हों घड़ियां और उनसे ...
शालिनी का आज दफ्तर में पहला दिन था। सुबह से काम कुछ न किया था, बस परिचय का दौर ही ...
(1.) पहाड़ी औरतें पहाड़ी औरतें! नज़दीक ब्याही गयीं मगर दूर रहीं ताउम्र वह पार करती रहीं जिंदगी के उतार-चढ़ाव टेढ़े-मेढ़े ...
(1.) शिकारी शहर शहर शिकारी हो गया है मारता है झपट्टा और लील जाता है गांव गीरान के लड़के कि ...
(1.) आमद तितलियों को बुलाने फूल उगाए पक्षियों को बुलाने पेड़ लगाए बारिश खुद ही चली आई रहने के लिए ...
1. प्रेम का आभास एक अनंत तक प्रेम को ढूँढा थक गया हार गया... कहीं न मिला जिसकी मुझे तलाश ...
(1.) पिता जो बिन जताए, हर वादा निभाए। सींचे अपनी तनहाइयों को, जड़ बनकर। फिर हम तुम ऊँचाइयाँ छुएँ, और ...
विकास रहता है आजकल आकाश छूती इमारतों में, भव्य मोटर-गाड़ियों में, शायद उसे वैभव पसंद है। विकास घूमता है बेफिकर ...
(1) वापस लौट जाओ मृत्यु के देवता! यह तुम्हारा समय नहीं है यह वैचारिक रूदालियों का भी समय नहीं न ...
जोगी जा उस देश को, गम बेगम के पार। छोड़ ठिकाना द्वेष का, कर दें माया क्षार।।1।। जोगी धर लें ...
समझदार हैं बच्चे जिन्हें नहीं आता पढ़ना क, ख, ग हम सब पढ़कर कितने बेवकूफ़ बन चुके? यह समय और ...
यह जगह आरक्षित है यह जगह आरक्षित है कोई रो नहीं सकता कोई पूछे तो कहना यहाँ कोई रोया नहीं ...
1. एक पेड़ कैसे बोया जाए पाला पोसा जाए एक पेड़ सचाई का यह मिट्टी झूठ के बीजों के लिए ...
मौन का सफ़र जाना चाहता हूँ एक ऐसे सफ़र पर जहाँ से चाहकर भी लौटना मुमकिन नहीं इस आपाधापी से ...
प्रेम को समझने के लिए, सिर्फ प्रेम कहानियाँ और कविताएँ पढ़ने की जरूरत नहीं है। मैंने देखा है... माँ को ...
21वीं शताब्दी के दूसरे दशक में यह कहना कोई आश्चर्यजनक बात नहीं है कि दुनिया बदल रही है अथवा बदल ...
1. जलप्रलय फूल लिखना अनिवार्यता है मैं चाहती हूं कुछ नए खिले अधखिले महकते गंधहीन फूलों की बात लिखूं। मुझे ...
1. दफ़्न करके हसरतों को मुस्कराना आ गया ज़िंदगी हमको तेरा कर्ज़ा चुकाना आ गया //१// थी अना की एक ...
वो अकसर बड़े प्रेम से सहेजता था अपने बोनज़ाई पौधे को बहुत ख्याल था उसे उसके रूप और बनावट का ...
© 2024 साहित्यिकी.