1)
जिंदगी को खुशी और गम दे गया
मुश्किलों में जीने का हुनर दे गया
मेरी जिंदगी की गुरबतें ले गया
और ख्बाव सा मोहब्बत दे गया
मुसीबतें कम नहीं थी राह में
इसलिये एक हमसफर दे गया
मेरे होठों से हँसी ले गया कोई
और बदले में जामे-शराब दे गया
जिस्म का मकां जर्जर है
पर दिल वह जवान दे गया
जब हम फंसे थे मँझधार में
कोई मुझे जीने का हबाब दे गया
बंद किताब पढ़ लेता है “सतीश”,
ख़ुदा उसे फरिश्ते सी आब दे गया
2)
हौसले को मुश्किलों में संजोना आता है
कश्ती से समंदर लांघना आता …….है
मुफ़लिसी में भी फ़कीरी नहीं भाती
तूफान में चिराग़ जलाना आता ..है
मेरी फटेहाली पर मत मुस्कराओ
मुझे किस्मत बदलना आता ….है
चाहकर भी मुझे मार नहीं पाओगे
जहर में भी अमृत घोलना आता है
ख़ुशी खरीदना मेरी फ़ितरत नहीं
ख़ुद की नज़रों में गिरना आता है
उसके सीधेपन को कमजोरी मत समझो
उसे लोगों को औकात में रखना आता है
मुझे जलील करने के मंसूबे छोड़ दो
जनाब को किश्तों में मरना आता है
“सतीश”, की आंखों में बला की धुंध है
पर उसे अपनों को पहचानना आता है
3)
तुम्हारे जिक्र भर से नशा चढ़ ….॰॰जायेगा
तेरे बिना उदासियों का साया पसर जायेगा
फ़क़त इल्जामों और नफरतों से घबराना ठीक नहीं
जीओ इनके साथ, जिंदगी का चेहरा बदल जायेगा
न हो तकरार, न हो लड़ाई-झगड़ों की सरगोशियां
ख़ुदा का मन भी जमीं पर आने के लिये मचल जायेगा
बारिश की आँख-मिचौली से पशेमान हैं जरूर
पर मेरा प्यार मिट्टी का खिलौना नहीं, जो गल जायेगा
“सतीश”, को रोशन करती रोशनी हो तुम
चाँदनी के बिना हर तरफ अंधेरा रह जायेगा
4)
आँखों में ख्बाव है तुम्हारा
ख्बाव में जवाब है तुम्हारा
बिना पिये नशे में …..हूँ
जामे ए शराब है तुम्हारा
जीत नहीं सकता कोई तुमसे
हर बात में जवाब है तुम्हारा
ख़तरा है भटक जाने का
ऐसा शबाब है ….तुम्हारा
जलकर कोई कुंदन बन गया
नूर सा आफताब है तुम्हारा
रात में हर तरफ है तुम्हारा ही ….अक्स
आखिर चेहरा चाँद सा जनाब है तुम्हारा
“सतीश,” जिस क़िताब में गुम हुआ
वह रूमानी किताब है …….॰॰तुम्हारा
5)
मिल गईं आप पी से, समंदर के होते हुए
मैं कहीं नहीं गया, वंसत के होते …….हुए
आप तो आये थे जिंदगी में चुपके से
फूल खिल गये, पतझर के होते ..हुए
ख्बाव में जब हुई आप से मुलाकात
दर्द नहीं रहा, जख्म के होते …..हुए
आपको खबर नहीं थी अपने हुस्न की
नजरों में आप थीं जन्नत के होते हुए
ताबीर मेरे ख्बाव की सच हो…. गई
आप मिल गये, अमावस के होते हुए
सुबह-सुबह, क्यों है जामे-शराब का सुरूर
चाँद निकल आया, सुबह के होते हुए
आप के बिना नहीं है कोई ख़ुश-गवार मंजिल
जिंदगी आजार थी, धन-दौलत के होते …हुए
“सतीश” की मोहब्बत जब से इबादत बनी
शमां जलती रही, तूफ़ान के होते ……हुए