1.
तुम कहाँ छुपे हो ईश्वर
तुम कहाँ छुपे हो ईश्वर
लम्बी लम्बी कोलतार की सड़कें
बन गयी हों जैसे जहन्नुम का रास्ता
पैदल मीलों चलते
छाले भी कराह के पुकार उठे
कांधों पर सिर का बोझ
कभी इतना भारी न लगा
खून से लथपथ माँ के गर्भ से निकल
इक्कीसवीं सदी ने कभी भी
आंखें न खोली होंगी इस क़दर
शहर के शहर मुँह उठाये
चल पड़े हैं गाँव की ओर
जैसे कोई बिछड़ा हुआ बच्चा
बिलखता हुआ लौटता है
माँ के आंचल तक
कि भूख गरीबी बेबसी लाचारी
सबने अपनी झोली फैलाकर
की हैं तुमसे प्रार्थनाएँ
कि तुम आओ हे ईश्वर
कि तुम ही हो एक सहारा, एक उम्मीद
इस जीवन यात्रा की
कि तुम्हारे आने से चल पड़ेंगी
थमती हुईं साँसें
खिल उठेंगे उदासियों के चेहरे
गूँज उठेगा कहकहों से पूरा घर
उत्सव से भर जाएगी रसोई
और रंगों से आँगन
हे ईश्वर! तुम लाना अपने साथ
ख़ुशबू भरे मौसम से भरी
सगुन की टोकरियाँ,
रिश्तों की मिठास, धानी चुनर,
नेह का जल
कि तुम्हारे आने से
घुल जाएँगे मिट्टी में मानस के गीत
फूटेंगी आशा की नई कोंपलें
और एक बार फिर
चल सकेंगे हम अपनी जीवन यात्रा पे
पूरे विश्वास के साथ
2.
स्मृति
आज
कई दिनों बाद
स्मृति के जादूगर ने
पलट डाले
जिंदगी की किताब के
कई पृष्ठ …
वक्त की स्याही से लिखे
उन पन्नों पर दिखे
अठखेलियाँ करते शब्द
अनुशासित भाव
कुछ स्पंदित क्षण
सूखे गुलाब के निशान
और
आँखों की नमी से धुले
तुम्हारे ख़त
3.
पुल
विश्वास की ईंटों को जोड़कर
प्यार के गारे से सना
चलो बनाएँ
संवाद का एक पुल
जो सीधे तुम्हारे दिल से
मेरे दिल तक पहुँच सके
इससे पहले कि आ जाएँ हमारे रिश्तों में
झूठ और धोखे की
दरारें
और आ जाएँ
कभी न तय होने वाली दूरियाँ।
4.
प्रार्थना
पड़ सकते हैं शब्द कम
हो सकते है एहसास अव्यक्त
मर सकते हैं सपने
पर नहीं मरती हैं प्रार्थनाएँ
वे अक्सर देर से सुनी जाती हैं
ईश्वर के मौन में…
5.
नमक
स्त्री
घुली होती है
घर के वातावरण में
नमक की तरह
कि जिसके न रहने से
बिगड़ जाता है
‘घर का स्वाद’
6.
मुस्कान
चकले पर रोटी बेलती
स्त्री की चूड़ियों की खनक
होती है सारे वाद्ययंत्रों से मधुर
तवे पर फूलती रोटियाँ
लाती हैं मुस्कान
बच्चों के चेहरे पर
जो दुनिया भर के खिलौने भी
नहीं ला पाते
7.
खानाबदोश लड़कियाँ
प्रेम में पड़ी लड़कियाँ
बना नहीं पाती कभी
अपना स्थायी निवास
क्योंकि लहू के प्यासे
अपने ही लोग
बना देते हैं उन्हें
खानाबदोश
8.
बातें
बेटा बहुत ख़ुश है
वह अंग्रेज़ी में बातें करता है
वह सबसे अंग्रेज़ी में बातें करता है
सब जगह अंग्रेज़ी में बातें करता है
घर, बाहर, ऑफिस, मार्केट
माँ उदास है
वह सीख रही है अंग्रेज़ी
ताकि बेटा कर सके उससे भी
बातें…
9.
सोचा न था
सोचा न था कभी
कि आएगी प्रलय ऐसे
नाचेगा काल विकराल रूप धर
और निगल जाएगा
लाखों करोड़ों लोगों को
एक बार मे ही…
सोचा न था कभी कि
ठहर जाएगा वक़्त
एक पल को भी इस तरह
रुक जाएगी सपनो के पीछे
भागती-दौड़ती दुनिया
ठप्प पड़ जाएँगे सारे काम धाम
और बेबस हो जाएँगे हम इंसान
सोचा न था कि इस वर्ष का वसंत
आते ही बदल जाएगा पतझड़ में
खुशियों के रंग हो जाएँगे मलिन
और चुम्बन और स्पर्श भी
कर देगा भयभीत मनुष्यों को
सोचा न था कि
किसी रोज़ अचानक
बंद करने पड़ेंगे सारे धर्मालय
मंदिर मस्जिद गिरजाघर
और ईश्वर कर्मकांडों की जगह
याद किये जाएँगे प्रार्थनाओं में
सोचा न था कि
प्रगति साधकों को कभी
मिलेगी खुली चुनौती प्रकृति से
और कीड़े मकोड़ों की तरह रेंगते
घर मे दुबके पड़ेंगे महीनों तक
सोचा न था कभी कि
सुननी पड़ेगी सन्नाटों की चीखें
कि मानवता बचाने की खातिर
मानव को ही रखना होगा मानव से दूर
और जलाने होंगे उम्मीदों के दीप
बोझिल थके निराश अवसादग्रस्त मन में
सोचा न था कभी कि
हो जाएगी पृथ्वी फिर से हरी भरी
सुगंधित हवा फिर से
करने लगेगी अठखेलियाँ
चिडियाँ गाने लगेंगी लयबद्ध संगीत
नर्म किरणें भर देंगी अंतस में ऊर्जा
और मेरे हृदय में गूंजने लगेगा पुनः
मेरे एकांत का एकतारा
10.
रंगों की भाषा
जब भी बनाना चाहा तुम्हारा चेहरा
उकेर दिए कैनवास पर मैंने
‘बादल’
बादल की तरह ही तो
बरस जाते हो तुम कभी
और कर देते हो अपने
प्रेम के जल से सराबोर मुझे
जैसे पास बैठने से तुम्हारे
मिल जाती हो मुझे ठंडक।
बना देती हूँ एक बिजुरी
जिसके अंजुरी भर उजाले सा
तुम्हारा स्पर्श
रौशन करता है मुझे
स्याह रात में दीपक की लौ की भाँति ।
लहरा देती हूँ फूल की लतिकाएँ
जिसकी ख़ुशबू मिलती जुलती है
तुम्हारे देह की ख़ुशबू से
और जो देर तक
बसी रहती है मुझमें।
भर देती हूँ
चूड़ियों में हरे रंग को
जो कराती हैं एहसास
तुम्हारी बूँदों सी खनकती आवाज़ का।
काश
कि तुम भी पढ़ पाते
रंगों की इन भाषाओं को।