नन्हा सफ़ेद मेमना
ढूंढता हूं किरमिच की गेंद समय की झाड़ियों में अब तक उठती है भाप बचपन की परोसी थालियों से कई...
मूलत: उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले से। लखनऊ विश्वविद्यालय से हिंदी साहित्य में परास्नातक। रंगमंच से जुड़े रहे। भारतेंदु नाट्य अकादमी से एक वर्षीय प्रशिक्षण प्राप्त। पिछले लगभग ग्यारह वर्षों से मुंबई में। इस बीच श्री प्रकाश झा के साथ करीब चार वर्ष तक चक्रव्यूह, सत्याग्रह, फ्रॉड-सैंया आदि फिल्मों में बतौर प्रोडक्शन मैनेजर का अनुभव लेने के बाद अभी अपनी फ़िल्म पर काम कर रहे हैं।
ढूंढता हूं किरमिच की गेंद समय की झाड़ियों में अब तक उठती है भाप बचपन की परोसी थालियों से कई...
© 2024 साहित्यिकी.