प्रशान्त ‘बेबार’ की पाँच कविताएँ
अभी इश्क़ लिखने का दिल नहीं है मैं कोशिशें हज़ार करता हूँ मगर रूह है कि सिहर जाती है नज़र...
उनकी कविताएँ और कहानियाँ अमर उजाला, परिकथा, साहित्यनामा, साहित्य मंजरी, इत्यादि तमाम साहित्यिक पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हैं। आपका काव्य संग्रह 'दरीचे' वर्ष 2020 में प्रकाशित हुआ है।
प्रशान्त बेबार पी.डब्लू.ओ (पोयट्री वर्ल्ड ऑर्गनाईज़ेशन) के ‘अल्फ़ाज़ 2019' और 'विंगवर्ड काव्य पुरस्कार 2019' से पुरस्कृत हैं तथा अनेक साहित्यिक संगोष्ठियों में भागीदारी रखते हैं।
सम्प्रति, प्रशान्त मुम्बई में रहते हैं एवं पेशे से एक ए.टी.सी अधिकारी हैं।
अभी इश्क़ लिखने का दिल नहीं है मैं कोशिशें हज़ार करता हूँ मगर रूह है कि सिहर जाती है नज़र...
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