चंद्रकांता की दो कविताएँ
ब्यूटिया मोनोस्पर्मा अभी चार दिन पहले ही तो दुलहंडी थी बसंत शान से ऐंठा हुआ था कुछ कपोलें फूट चुकी...
ब्यूटिया मोनोस्पर्मा अभी चार दिन पहले ही तो दुलहंडी थी बसंत शान से ऐंठा हुआ था कुछ कपोलें फूट चुकी...
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