‘जोगी’ पर तेईस दोहें
जोगी जा उस देश को, गम बेगम के पार। छोड़ ठिकाना द्वेष का, कर दें माया क्षार।।1।। जोगी धर लें...
हिंदी व्याख्याता, बाली (राजस्थान)।
मरुसंवाद, तेज पत्रिका, हस्ताक्षर मासिक, संजीवनी समाचार, प्रभात केसरी आदि में रचनाएं प्रकाशित।
जोगी जा उस देश को, गम बेगम के पार। छोड़ ठिकाना द्वेष का, कर दें माया क्षार।।1।। जोगी धर लें...
यदि आपको चाहिए 'प्रगतिशीलता' की प्रतिनिधि कोई कविता जो हो 'अकादेमी' के लिए सर्वोत्कृष्ट! जिसे पढ़कर सजी-धजी किसी सभा में...
कार्ल मार्क्स, जिन्हें एम.एन. राय ने झूठा पैगम्बर कहा है, ने लिखा है— "सिद्धांत की अंतिम परख व्यवहार है।" प्रसिद्ध...
आदिकवि महर्षि वाल्मीकि ने भारत की राम रूपी आत्मा को आसेतु-हिमालय तक प्रकाशित किया. उन्होंने रामात्म का विन्यास करके निखिल...
इस कशमकश में कि क्या लिखूं, क्या छोड़ूं? क्या बुनूं क्या तोड़ूं? मष्तिष्क एक कैद पंछी-सा तड़फड़ाता रहा अंधेरी...
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