कुंदन सिंह की छह कविताऍं
(1.) शिकारी शहर शहर शिकारी हो गया है मारता है झपट्टा और लील जाता है गांव गीरान के लड़के कि...
जन्मतिथि : 10 फरवरी 1988
शिक्षा : एम.ए.(हिन्दी), पीएच.डी., बी.एड., पी.जी.डी.आर.पी., सी.बी.एल, यू.एल.सी.,
डी.सी.ए, यू.जी.सी-नेट, सी.टेट, बीटेट।
अभिरुचि : लेखन सहित अध्ययन-अध्यापन, साहित्यिक-सांस्कृतिक व सामाजिक सरोकार से गहरा जुड़ाव, पत्रकारिता व सोशल मीडिया में सक्रिय।
प्रकाशन : विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में कविताएं, गजलें हाइकू व आलेख प्रकाशित। 'समय की स्लेट पर कविता'(कविता,ई.बुक), रू-ब-रू मेरे (ग़ज़ल संकलन, ई.बुक)
उल्लेखनीय : हिंदी आंदोलन और नागरी प्रचारिणी सभा, भोजपुरी लोकगीतों का बहुआयामी अध्ययन, चंद्रभूषण तिवारी : जीवन और साहित्य साधना शीर्षक रूप मे शोधपरक पुस्तकाकार कार्य।
संप्रति : अध्यापन व रेडियो सहित विभिन्न संचार माध्यमों के लिए स्वतंत्र लेखन।
(1.) शिकारी शहर शहर शिकारी हो गया है मारता है झपट्टा और लील जाता है गांव गीरान के लड़के कि...
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