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Author:
निधि झा
कविता—अश्रुरंजित अस्मिता
निधि झा
—
October 11, 2020
in
कविता
हुआ द्रौपदी का हरण चीर है, फिर भी धर्म परम वीर है। सत्ता के द्युत में भी जब धर्म निहित…
6 comments