चार कविताएं
■ मैं जीना चाहती थी तुम्हें मैं जीना चाहती थी तुम्हें मैं तुम्हारे उघड़े सीने की भीत पर लिखना चाहती...
हिन्दी प्राध्यापिका
जन्मस्थान- रेणुग्राम, अररिया (बिहार)। विनोबा भावे विश्वविद्यालय, हजारीबाग से हिंदी में एम.ए., एम.एड.। विभिन्न प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं, ई ब्लॉग, समाचार-पत्रों आदि में रचनाएं प्रकाशित।
■ मैं जीना चाहती थी तुम्हें मैं जीना चाहती थी तुम्हें मैं तुम्हारे उघड़े सीने की भीत पर लिखना चाहती...
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