जोशना बैनर्जी आडवानी की सात कविताएँ
हम सबके पास एक खिड़की है... जिसके पास नहीं, उससे दरिद्र कोई नहीं खिड़की ईश्वर की ऊँगली है, जिसके इशारे...
31 दिसंबर, 1983 को आगरा में जन्म। आगरा विश्वविद्यालय से अंग्रेज़ी में पोस्ट ग्रेजुएशन करने के बाद बी.एड., एम.एड. और पीएच.डी.। पहला कविता संग्रह "सुधानपूर्णा"। सीबीएसई की किताबों के संपादन में सक्रिय। अधिकांश समय कोलकाता में बीता। बोलपुर और बेलूर, कोलकाता में रहकर इन्होंने कत्थक और भरतनाट्यम सीखा। इनकी कविताओं में बांग्ला भाषा का प्रयोग अधिक पढ़ा जा सकता है।
संप्रति, आगरा के स्प्रिंगडेल मॉर्डन पब्लिक स्कूल में प्रधानाचार्या पद पर कार्यरत।
हम सबके पास एक खिड़की है... जिसके पास नहीं, उससे दरिद्र कोई नहीं खिड़की ईश्वर की ऊँगली है, जिसके इशारे...
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