मोहन राणा की पॉंच कविताएँ
(1.) कि पहचान लूँ उसे नया भी था इसी तरह वह बिका कहीं और हमेशा ख़रीदारों के बीच शानदार दुकानों...
ब्रिटेन में बसे मोहन राणा का जन्म 1964 में दिल्ली में हुआ। उनके अब तक आठ कविता संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं।
यूके हिन्दी समिति लंदन (2004) ने ‘इस छोर पर’ कविता संग्रह को सम्मानित किया था और ‘पत्थर हो जाएगी नदी’ को महाराष्ट्र अनुवाद परिषद ने तुका म्हणे साहित्य पुरस्कार (2007) से सम्मानित किया और 'धूप के अँधेरे में' को पद्मानंद साहित्य सम्मान (2008) से लंदन में अलंकृत किया गया। भारतीय उच्चायोग, लन्दन द्वारा ‘डॉ. हरिवंश राय बच्चन यूके हिन्दी लेखन सम्मान, वर्ष 2019’ में ब्रिटेन में सर्वोत्कृष्ट हिन्दी लेखन के लिए (2020) में उन्हें दिया गया।
कुछ चुनी हुई कविताओं का द्विभाषी कविता संग्रह ‘पोयम्स’ (2011) और नवीनतम द्विभाषी कविता संग्रह ‘द कार्टोग्राफ़र’ (2020) का प्रकाशन पोयट्री ट्रांसलेशन सेंटर लंदन ने किया है। दोनों संग्रहों के अनुवादक लूसी रोज़ेंश्ताइन और अंग्रेजी के प्रसिद्ध कवि बर्नार्ड ओ डोनह्यू हैं। कविता संग्रह ‘शेष अनेक’ (2016) को कॉपर कॉइन पब्लिशिंग ने प्रकाशित किया है।
उनकी कविताओं के अनुवाद अंग्रेजी के अलावा मराठी, ओड़िया, नेपाली, इतालवी, स्पहानी, पुर्तगाली, जर्मन और बेलारूसी में भी हुए हैं।
(1.) कि पहचान लूँ उसे नया भी था इसी तरह वह बिका कहीं और हमेशा ख़रीदारों के बीच शानदार दुकानों...
© 2024 साहित्यिकी.