मधु झा की तीन कविताऍं
1. न जाने कितनी आत्मजनित भावनाओं का कौमार्य भंग हुआ जब स्वतंत्रता दी मैंने शब्दों को उन्हें छूने की केवल...
1. न जाने कितनी आत्मजनित भावनाओं का कौमार्य भंग हुआ जब स्वतंत्रता दी मैंने शब्दों को उन्हें छूने की केवल...
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