प्रियंका चौहान की पॉंच कविताएँ
■ सैनिक का खत सीमा की निगरानी में हूँ मैं थका नहीं तुम सुनो अभी मैं राग अलापा करता हूँ...
दिल्ली विश्विद्यालय से हिंदी साहित्य में स्नातक व परास्नातक। वर्तमान में इग्नू से परास्नातक (समाजशास्त्र) की छात्रा। कविताएं, लघुकथाएं व कहानी लेखन में रुचि। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में हिंदी साहित्य एवं सामाजिक-राजनीतिक विषयों पर लेखन।
■ सैनिक का खत सीमा की निगरानी में हूँ मैं थका नहीं तुम सुनो अभी मैं राग अलापा करता हूँ...
© 2024 साहित्यिकी.