पूजा पुनेठा की पांच कविताएं
दुआ दरगाह के धागे में बंधती मंदिर के दीये में जलती गिरिजा की ख़ामोशी में बसती ताबीजों में बंद सिसकती...
पूजा पुनेठा कवयित्री, नाट्यकर्मी और कार्यक्रम प्रस्तोता हैं। कुछ दिनों रेडियो में भी काम किया। आजकल सिनेमा पर लिख-पढ़ रही हैं। तमाम मंचों पर वह अपनी कविताओं का पाठ कर चुकी हैं। फिलहाल, वह राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग से जुड़ कर बच्चों के अधिकारों के लिए काम कर रही हैं।
पूजा की कविताएं प्रेम और प्रकृति की कविताएं हैं। उनकी विशेषता यह है कि वह अपनी सहज शैली में गूढ़ बातों को भी बड़ी सरलता से शब्दों में ढाल देती हैं।
दुआ दरगाह के धागे में बंधती मंदिर के दीये में जलती गिरिजा की ख़ामोशी में बसती ताबीजों में बंद सिसकती...
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