प्रणय कुमार की सात कविताऍं
1. मैं जो हूँ वही कहलाने से डरता हूँ डरता हूँ कि कहीं किसी जागरूक क्षण में अपनी ही उँगली...
शिक्षक, लेखक एवं सामाजिक कार्यकर्ता। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में नियमित लेखन। जीविकोपार्जन हेतु अध्यापन। आईआईटी कानपुर में 'शिक्षा सोपान' नामक सामाजिक संस्था की संस्थापना। हाशिए पर जी रहे वंचित समाज के लिए शिक्षा, संस्कार एवं स्वावलंबन के प्रकल्प का संचालन।
1. मैं जो हूँ वही कहलाने से डरता हूँ डरता हूँ कि कहीं किसी जागरूक क्षण में अपनी ही उँगली...
लब्धप्रतिष्ठ साहित्यकार मुंशी प्रेमचंद की पुण्यतिथि (8 अक्टूबर) पर विशेष आलेख किसी भी उदार, गतिशील एवं जागरूक समाज में विमर्श...
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