कहानी―विलायती सब्जी
पूस की हाड़-कंपा देने वाली ठंड से सड़कें सांय-सांय कर रही थीं। आदमी तो क्या जानवर भी दुबक कर बैठे...
पूस की हाड़-कंपा देने वाली ठंड से सड़कें सांय-सांय कर रही थीं। आदमी तो क्या जानवर भी दुबक कर बैठे...
(1) दरारें दीवार की दरारों के बीच झाँकता पीपल का पेड़ कुछ हम जैसा ही तो है न किसी ने...
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