‘विश्वगुरु भारत’ की स्वप्नद्रष्टा : एनी बेसेंट
सन् 1893 में एनी बेसेंट ने थियोसाफिकल सोसाइटी का नेतृत्व अपने हाथों में लिया। उन्होंने सन् 1898 में काशी में...
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त। आलोचना-ग्रंथ : ‘निर्मल वर्मा की कथा भाषा’(2012), ‘साहित्य की आत्म-सत्ता’(2015), ’आलोचक का स्वप्न’(2017)। कविता-संग्रह : ‘पत्थरों के दिल में’ (2016)। सीताराम शास्त्री आलोचना सम्मान-2016, उप्र भाषा संस्थान द्वारा ‘शब्द शिल्पी सम्मान-2018’।
संप्रति—सह-आचार्य एवं अध्यक्ष, हिंदी विभाग, बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय, लखनऊ (उत्तर प्रदेश)।
सन् 1893 में एनी बेसेंट ने थियोसाफिकल सोसाइटी का नेतृत्व अपने हाथों में लिया। उन्होंने सन् 1898 में काशी में...
साहित्य को लेकर चिंताएं फिर बढ़ने लगीं हैं। भूमंडलीकरण और इलेक्ट्रानिक माध्यमों के कुहरीले घटाटोप में उसके स्वरूप के दबने,...
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