स्वाति शर्मा की पाँच कविताएँ
1. अपंग हमारे बारे में सोचते हुए हम दोनों की भावुक अयोग्यताएँ न देखो न सोचो कि हमें योग वाला...
स्वाति जी के हिंदी और अंग्रेज़ी लेख, समीक्षाएँ व कविताएँ पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं। वह अपना परिचय एक पाठक के रूप में देती हैं। उन्होंने जर्मन और फ़ारसी जैसी विदेशी भाषाएँ सीखी हैं। स्वाति जी का मानना है कि भाषा के सम्मान के बिना लेखक और पाठक दोनों ही अधूरे हैं।
स्वाति जी दिल्ली में एक डिजिटल कम्युनिकेशन्स एजेंसी चलाती हैं।
1. अपंग हमारे बारे में सोचते हुए हम दोनों की भावुक अयोग्यताएँ न देखो न सोचो कि हमें योग वाला...
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