‘किसी और बहाने से’ बदलती दुनिया का भाष्य
21वीं शताब्दी के दूसरे दशक में यह कहना कोई आश्चर्यजनक बात नहीं है कि दुनिया बदल रही है अथवा बदल...
शोधार्थी, महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा (महाराष्ट्र)
21वीं शताब्दी के दूसरे दशक में यह कहना कोई आश्चर्यजनक बात नहीं है कि दुनिया बदल रही है अथवा बदल...
कभी ख़ाक तो कभी धुआँ मिलता है यहाँ आदमी मुक़म्मल कहाँ मिलता है चारासाजों की बातों में बहुत पहले था,...
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