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Author:
तेज प्रताप टंडन 'तेज'
ग़ज़ल—यहाँ आदमी मुक़म्मल कहाँ मिलता है
तेज प्रताप टंडन 'तेज'
—
November 12, 2020
in
कविता
कभी ख़ाक तो कभी धुआँ मिलता है यहाँ आदमी मुक़म्मल कहाँ मिलता है चारासाजों की बातों में बहुत पहले था,…
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