यदि आपको चाहिए 'प्रगतिशीलता' की प्रतिनिधि कोई कविता जो हो 'अकादेमी' के लिए सर्वोत्कृष्ट! जिसे पढ़कर सजी-धजी किसी सभा में...
Read more1. चुप रहना कभी कभी चुप रहना चुप रहना नहीं होता उस मौन का महत्त्व बस घटित होता है मौन...
Read more1. मैं जो हूँ वही कहलाने से डरता हूँ डरता हूँ कि कहीं किसी जागरूक क्षण में अपनी ही उँगली...
Read moreदुआ दरगाह के धागे में बंधती मंदिर के दीये में जलती गिरिजा की ख़ामोशी में बसती ताबीजों में बंद सिसकती...
Read moreकवि: निकानोर पार्रा निकानोर पार्रा चिली और लेटिन अमेरिका के एक बड़े कवि हैं। युवा कवि डॉ. देवेश पथ सारिया...
Read more(१) मेरा देश, हमारी पहचान। हम उसे नकारते रहे, धिक्कारते रहे लाट साहब बने दुनिया घूमते रहे, इतराते रहे। (२)...
Read moreवो मुझसे प्रेम करता था मैं उसे प्रेम करती थी वो मेरा ख़्याल रखता था मैं उसका ख़्याल रखती थी...
Read moreमैं इक बेकल-सी नदी, तू सागर बेचैन। तेरे बिन कटते नहीं, अब मेरे दिन-रैन।१। * जब-जब सोचा मैं लिखूँ, कोई...
Read more(1) सुनो सुनो... चुप न रहो मेरी बात के हाथ पर अपनी हथेली रख दो और छू लेने के सुख...
Read more(1.) कि पहचान लूँ उसे नया भी था इसी तरह वह बिका कहीं और हमेशा ख़रीदारों के बीच शानदार दुकानों...
Read moreबोध मैं बहुत रोना चाहती हूँ उन तमाम गलतियों के लिए जिनकी अपराधी मैं स्वयं हूँ हालाँकि, आक्षेप मुझे कुछ...
Read more01. वक्त वही है, लम्हें वही है ठहरे सब ख्यालात वही है कहते हैं कुछ हुआ नया है हम कहते...
Read more(१) टूटे ख़्वाबों को यूँ तामीर किया है उसने चूम कर दर्द, मुझे मीर किया है उसने तोड़ कर आज...
Read more1. मेरी बातें कफन मत पहनाना अभी, दफन नहीं होना चाहती मेरी बातें... जीनी है उसे तुम संग जाने, कितने...
Read more1. वह चेहरा नहीं! मुझे अब देखने दो आँखों में आँखें डालकर इस एकाकीपन को मुझे देखने दो कि मैं...
Read more1. क्यों ये सूखे हुए पत्ते मुझी से लगते हैं पाँव की ज़ेर, खरकती जमीं से लगते हैं वो इशारे,...
Read more1. प्रकृति का प्रेमपत्र प्रकृति ने लिखा था एक प्रेमपत्र और चाहती थी प्रतिउत्तर। पत्र से प्राप्त आंनद में तुम...
Read more1. दुःख का दोआब हमारी पीढ़ी लोक देवताओं से माँगी मनौती से जन्मी है जब दुनिया की रूप-रेखा बदल रही...
Read moreसफ़ूरा के लिए कोई अख़बार की चर्चा करता है तो खाने में क्या बना है देख लेता हूँ. कोई मज़दूरों...
Read more(1.) मौन मौन सघन वन में अनाम वनस्पति होता है शब्द न ओस बनते हैं न फूल (2.) टेढ़ी-मेढ़ी लकीरें...
Read moreभीष्म प्रतिज्ञा सोचा एक प्रतिज्ञा कर के अब मैं उसको भीष्म करूँ जग चाहे मनुहार करे कुल प्रतिज्ञा की रक्षा...
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