1.
दामन नहीं भिगोया होगा,
पर, अन्दर से रोया होगा।
पहुँचे आज बुलंदी पर जो,
सोचो क्या-क्या खोया होगा।
आज नहीं तो कल फल होंगे,
एक बीज जो बोया होगा।
टूटी नहीं लड़ी जीवन की,
सुख दुख सभी पिरोया होगा।
तनहा होने का मतलब है
यादें नहीं संजोया होगा।
2.
वसंती हो गईं ग़ज़लें हवा है यों बही यारो,
तनिक साँकल हटाना तो खुमारी छा रही यारो!
कहीं नगमें कहीं कविता असर है मौसमे गुल का,
ढली लफ़्जों में मादकता है उसने यों कही यारो!
कुहासे से भरे वे दिन गये औ आ गये नव दिन,
खिली है धूप आँगन में छिड़ी है चहचही यारो!
मचलने को हैं भौरें और कलियां हैं महकने को,
अभी तक जो न कह पाये कहेंगे अनकही यारों!
खुले हैं मन-विहग के पंख मुद्दत बाद अम्बर में,
रही बंदिश न, हर दीवार अब तो है ढही यारो!