मतांधता से सृजनशीलता और विचारशीलता दूर तक नहीं जा सकती: अशोक वाजपेयी
हिंदी के वरिष्ठ कवि-आलोचक, कलाविद् एवं संस्कृतिकर्मी श्री अशोक वाजपेयी इस वर्ष 16 जनवरी को 80 वर्ष के हो गए। ...
हिंदी के वरिष्ठ कवि-आलोचक, कलाविद् एवं संस्कृतिकर्मी श्री अशोक वाजपेयी इस वर्ष 16 जनवरी को 80 वर्ष के हो गए। ...
हिंदी के वरिष्ठ कवि-आलोचक, कलाविद् एवं संस्कृतिकर्मी श्री अशोक वाजपेयी इस वर्ष 16 जनवरी को 80 वर्ष के हो गए। ...
(1) सुनो सुनो... चुप न रहो मेरी बात के हाथ पर अपनी हथेली रख दो और छू लेने के सुख ...
(1.) कि पहचान लूँ उसे नया भी था इसी तरह वह बिका कहीं और हमेशा ख़रीदारों के बीच शानदार दुकानों ...
बोध मैं बहुत रोना चाहती हूँ उन तमाम गलतियों के लिए जिनकी अपराधी मैं स्वयं हूँ हालाँकि, आक्षेप मुझे कुछ ...
01. वक्त वही है, लम्हें वही है ठहरे सब ख्यालात वही है कहते हैं कुछ हुआ नया है हम कहते ...
(१) टूटे ख़्वाबों को यूँ तामीर किया है उसने चूम कर दर्द, मुझे मीर किया है उसने तोड़ कर आज ...
1. मेरी बातें कफन मत पहनाना अभी, दफन नहीं होना चाहती मेरी बातें... जीनी है उसे तुम संग जाने, कितने ...
1. वह चेहरा नहीं! मुझे अब देखने दो आँखों में आँखें डालकर इस एकाकीपन को मुझे देखने दो कि मैं ...
एक जादुई होंठों वाला लड़का और एक बदसूरत होंठों वाली लड़की किसी बाग में आम के पेड़ के नीचे बैठे ...
डॉ. उर्वशी भट्ट डॉ. उर्वशी भट्ट की भीतर तक विकल कर देने वाली विचारोत्तेजक कविताओं से भरा कविता-संग्रह 'प्रत्यंचा' हाल ...
1. क्यों ये सूखे हुए पत्ते मुझी से लगते हैं पाँव की ज़ेर, खरकती जमीं से लगते हैं वो इशारे, ...
1. प्रकृति का प्रेमपत्र प्रकृति ने लिखा था एक प्रेमपत्र और चाहती थी प्रतिउत्तर। पत्र से प्राप्त आंनद में तुम ...
1. दुःख का दोआब हमारी पीढ़ी लोक देवताओं से माँगी मनौती से जन्मी है जब दुनिया की रूप-रेखा बदल रही ...
सफ़ूरा के लिए कोई अख़बार की चर्चा करता है तो खाने में क्या बना है देख लेता हूँ. कोई मज़दूरों ...
(1.) मौन मौन सघन वन में अनाम वनस्पति होता है शब्द न ओस बनते हैं न फूल (2.) टेढ़ी-मेढ़ी लकीरें ...
कार्ल मार्क्स, जिन्हें एम.एन. राय ने झूठा पैगम्बर कहा है, ने लिखा है— "सिद्धांत की अंतिम परख व्यवहार है।" प्रसिद्ध ...
भीष्म प्रतिज्ञा सोचा एक प्रतिज्ञा कर के अब मैं उसको भीष्म करूँ जग चाहे मनुहार करे कुल प्रतिज्ञा की रक्षा ...
कर्ज़ रोम के भगोड़े गुलाम ने जंगल में दर्द से बेज़ार खूॅंखार शेर के पँजों से निकाला था गहरे धँसा ...
भुखमरी से मौत की खबर निरी अफवाह के सिवा कुछ नहीं लगती थी। खाद्यमंत्री ने पिछले सत्र में सदन के ...
वापसी माँ.! उतारो मेरी बलाएँ चाचियों को सूचना दो बनाओ आज रात मीठे पकवान बहन.! आओ मेरी छाती से लग ...
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