कहानी—पता बदल गया है
‘‘मिसेज नंदा आप कब आई?’’ अपने किचन की खिड़की से ही मिसेज कुलकर्णी ने आवाज लगाई। मिसेज नंदा अपने लाॅन ...
‘‘मिसेज नंदा आप कब आई?’’ अपने किचन की खिड़की से ही मिसेज कुलकर्णी ने आवाज लगाई। मिसेज नंदा अपने लाॅन ...
(१) सखि आओ तुम अलि आओ तुम, काली आंखों में ढेर सारा काजल डालकर, जैसे हर दिन के बाद चली ...
“हम नौ साल में बिहा गये थे बेटा. तुम्हारे दादाजी का तब सतरहवाँ साल शुरू हुआ था. हमारी छटपटाहट, हमारा ...
ऐसा क्यूं होता है! जब भी मन उदास होता है तुम कहीं आस-पास होते हो कभी तन्हाइयों में तुम्हारी मौजूदगी ...
तेतर दास को मैं बचपन से ही देख रहा था. कभी नदी किनारे की गाछी (बाग) में आम तोड़ते हुए ...
(1) जानकी वो जो करुणानिधान कहलाते हैं... अन्तस में जिन्हें... शिव पाते हैं...! जिनके चरणों की महिमा को... वेद पुराण ...
सर्दियों की धूप चाय के प्याले में गुनगुनी धूप बचपन का आंगन। महीन धागों सी उठती भाप की लकीरें उड़ाती ...
1) खालीपन के बिल में स्त्री नहीं भरती खालीपन को मित्र नहीं भरते दुनिया में चलतीं इतनी साँसें एक खाली ...
गंगा की कल-कल धारा कहती तू रूक जा रे मैं कहती गंगा तू बहती जा रे। तट है, तेरा बड़ा ...
पहचान पशु पक्षी अपनी बोली बोलते हैं प्रेम करते हैं प्रकृति से नदियों के बहते जल में अठखेलियाँ करते हैं ...
भारतीय मनीषा अपने सांगोपांग समुच्चय के साथ कुबेरनाथ राय की रचनाओं में प्रतिफलित हुई है। उनके लिखे का पारायण भी ...
१) रंग सारे उड़ गये शायद हवा में जिंदगी फिर श्वेत श्यामल हो गई है राह अब कैसे मिले घनघोर ...
खेलती है बारिश खेलती है बारिश पहाड़ों, पेड़ों, नदी, नहरों के साथ खेलती है बारिश सड़कों, घरों, दरों-दीवारों के साथ ...
नरेश सक्सेना जैसी जिजीविषा और कविता तो सब को मिले पर उन के जैसा दुःख और यह कथा किसी भी ...
(मंगलेश डबराल के लिए...) १. धरती के कवि का जाना कुछ यूं है जैसे भाषा में छा गई ...
धूप का कतरा रेशा रेशा पिघलती हूं मैं तेरे नशे में, मानो एक कतरा धूप का मिला, बरसों के अंधेरे ...
वाल्मी पहाड़ी पर पहुँचकर अनीता ने अपनी बकरी चरने छोड़ दी और ख़ुद पत्थरों के टीले पर एक बड़े पत्थर ...
1) सिंड्रेला खो चुका है चमचमाता जूता, टूट चुका है अर्द्धरात्रि का जगमगाता दिवा स्वप्न, इच्छाओं की लड़ियाँ टूटी बिखरी ...
■ सैनिक का खत सीमा की निगरानी में हूँ मैं थका नहीं तुम सुनो अभी मैं राग अलापा करता हूँ ...
(1) तेरी महफ़िल में गर ठहर जाते हम तिरी बेरुख़ी से मर जाते तेरा हर ज़ुल्म सह लिया हँसकर छोड़ ...
दोहा प्राचीनतम एवं लोकप्रिय काव्य विधा है. भारतीय कवियों और संतों ने इस शैली में लिखकर ज्ञान-आलोक फैलाया. एक दोहाकार ...
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