भेड़
भेड़ों में नहीं होता
सही नेतृत्व चुनने का शऊर
और चुने हुए ग़लत नेतृत्व को
उखाड़ फेंकने का साहस
इतिहास बताता है
इंसानों में भी ये गुण
यदा कदा ही देखे गए हैं
सर्वप्रथम,
शऊर और हिम्मत की ग्रंथियां टटोलकर
दुरुस्त करने के बाद
अनुशासन का पाठ
इंसान को
भेड़ों से सीखना चाहिए
*********
पर्दे
हम एक ही पंक्ति में
ऊपर-नीचे के दो फ्लैट की खिड़कियों पर
टंगे हुए सफेद परदे हैं, एक जैसे
एक ही थान से कटे हुए
दूर के जंगल से चलकर जब हवा पहुंचती है यहां
और टकराती है हमसे
तब हम एक ही दिशा में उड़ते, उठते हैं
हममें से नीचे वाला पर्दा ज्यादा ऊपर उठता है
और ऊपर वाला थोड़ा कम
मानो कोशिश हो यह
कि नीचे वाला पर्दा उड़कर ऊपर वाले परदे तक पहुंच जाए
जबकि ऊपर वाला पर्दा
हवा का भरसक प्रतिरोध करता हुआ
अपनी जगह तक पर रुका रहे
थान से कटने से पहले की तरह
हम जुड़ जाना चाहते हैं
हवा के तेज़-धीरे होते झटकों के समीकरणों पर
एक दूसरे को छूने की कोशिश करते हैं जी तोड़
भूल जाते हैं हम
कि भले ही कितने ही बौने होते जा रहे हों फ्लैट
फिर भी ऊपर-नीचे की दो खिड़कियों के बीच
कुछ दीवार तो होती ही है
इसी दीवार पर सर पटक पटक
हममें से नीचे वाला पर्दा आ गिरता है फ़िर नीचे
ऊपर वाला पर्दा ना उड़ने के अपने प्रतिरोध को खो
उड़ जाना चाहता है पूरी ताकत से
जकड़ने वाले कुंदों को तोड़
कि जब गुरुत्वाकर्षण खींचेगा नीचे
तब वह गिरेगा एक बार गलबहियां कर
नीचे वाले पर्दे से
नीचे वाला पर्दा अनुगमन का विचार कर
हां में सर झकझोड़ता है
*********
डिग्री वाला दिन
बाक़ी बची थीं
यूनिवर्सिटी के
बेपरवाह जीवन की
आख़िरी बूँदें
जिन्हें समेटने को
हमने हवा में उछाल दीं
एक जैसी अपनी टोपियां
चूँकि फेंकने के कोंण
उत्साह के हिसाब से थे-
मतलब, बेहिसाब
गिरने पर
किसी के हिस्से में
नहीं आई उसकी अपनी टोपी
रीत रहे उल्लास का था
वह आखिरी अट्टहास
अंतिम बेपरवाह बूँदों का स्वाद
डिग्री सबकी अपनी थी
हवा से लौट आई टोपी
थी जाने किसकी