सर्दियों की धूप
चाय के प्याले में
गुनगुनी धूप
बचपन का आंगन।
महीन धागों सी उठती भाप की लकीरें
उड़ाती हैं गुड्डियॉं
यादों के फिरोज़ी आसमान में।
कटी पतंगों के पीछे
भागने को चाहता है दिल
पर पैर थम जाते हैं
मेरे देश के सारे रास्ते अब उलझे,
सारी गलियॉं गड्डमड्ड।
मेरी छत की सीढ़ियॉं भी कोई ले गया।
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ईश्वर को मोक्ष
ईश्वर ने जब भेजी थी
अपनी पहली संतान पृथ्वी की गोद में
वह न हिन्दू था, न मुसलमान,
न सिख, न ईसाई
ईश्वर न मंदिर में था, न मस्जिद में
न गुरुद्वारे में, न गिरजा में
वह बस प्रेम था। पर हम
उससे डरते रहे, डराते रहे।
जिस दिन दुनिया का अंत आएगा
ईश्वर मुक्त हो जाएगा
मिल जाएगा उसे मोक्ष
हमारे हाथों से।
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गाली देने वाला आदमी
गाली देने वाला आदमी हर बात पर गाली देता है
वह अच्छी बात पर भी गाली देता है
और बुरी बात पर भी गाली देता है।
पर ज्यादातर, वह बिना बात के गाली देता है।
गाली देना अच्छी बात नहीं है।
गाली देने वाला आदमी अज्ञानी होता है
हालांकि, वह अपने आप को
बड़ा ज्ञानी समझता है, और सोचता है,
गाली देकर वह एक नेक काम कर रहा है
दुनिया को सुधार रहा है,
वह दुनिया को सुधार सकता है।
पर दुनिया उसके हिसाब से सुधर नहीं रही।
इसलिए वह बच्चे, बूढ़े, जवान,
औरत, मर्द, हर इंसान को गाली देता है।
वह पक्षियों और जानवरों तक को नहीं छोड़ता।
वह मोर को हरामखोर कहकर कहकर बुलाता है
और सड़क पर सोये भूखे कुत्तों को
उनके पेट में लात मारकर हँसता है।
उनके बिलबिलाने और भौंकने पर
उनकी माँ-बहन को गाली देता है।
गाली देने वाला आदमी
खासकर औरतों को गाली देने
और उनसे खाने का
बड़ा शौकीन होता है।
वह धरती, दुर्गा, काली,
सब को गाली देता है।
वह सुबह होने पर सूरज को
सॉंझ ढलने पर चाँद सितारों को
और बारिश होने पर बादल को गाली देता है।
वह आसमान पर कीचड़ उछालता है
फूलों के खिलने पर भी
सिर्फ कॉंटे ही दिखाता है
और माली को गाली देता है।
वह सुगंध में दुर्गन्ध ढूंढता है
और दुर्गन्ध को
सुगन्धित बना कर पेश करता है।
गाली देने वाला आदमी जब
सड़कों पर चलता है
लोग परे हट जाते हैं!
क्योंकि जो भी उसे टोकते हैं
उन्हें रोकने के लिए वह
उनपर बुलडोज़र चलवाता है
उन्हें धमकियॉं देता है,
उनके सपनों को चूर होता देख
वह मंद-मंद मुस्काता है।
गाली देना एक बुरी आदत ही नहीं एक नशा है
और बीमारी भी, सोहबत से लग जाती है
फिर कभी ठीक नहीं होती।
और गाली देने वाला आदमी ऐसे ही एक दिन
गाली देते देते मर जाता है।
और उसके अंतिम संस्कार के लिए
फिर दुनिया भर की संक्रमित आत्माएँ आती हैं।
वे गाली देने वाले आदमी को मसीहा
और उसकी मृत्यु का जिम्मेदार
धरती, सूरज और माली को बताती हैं।
उनकी नज़र में गाली देने वाला आदमी
बिना न्याय पाए, इस दुनिया से चला जाता है।
वह बादल, फूल और खुशबू बन जाता है।
फिर उसकी जगह एक दिन
कोई और आता है।