1.
अपंग
हमारे बारे में सोचते हुए
हम दोनों की भावुक अयोग्यताएँ न देखो
न सोचो कि हमें
योग वाला गणित नहीं आता
और न ही विचारों
की आस हमें अधूरा सा
कर जाती है
हमें सोचते हुए
बात करो नभ के तारों से
जो छिटके हुए भी
एक ही आकाश में हैं
कल्पना करो
पैरलल यूनिवर्स में
हमारी ही जैसी एक कहानी की
याद करो उन रंगों को
जो सुनाई देते हैं
सलाह लो
धीमी आवाज़ में बोलती
चमकीली रोशनी की
ध्यान करो
समयबोध के दूभर होने का
सब कुछ याद रहने
और सब कुछ भूल जाने
की कुंठा का
निराधार होने की सहजता का
और उदाहरण लो
तीन भाषाओं में
मूक होने की उपलब्धि का
हमारा प्रेम अपंग है
इसकी नियति शायद चलना नहीं
उड़ना है
2.
ज़बान
छह ज़बानें
छह ज़बान चलाने के तरीक़े
छह सौ ज़बान सम्भालने के ढंग
छह हज़ार साँस लेने के प्रकार
छत्तीस हजा़र साँस रोकने की क़वायदें
साठ हज़ार लेखकों का सान्निध्य
अनगिनत बातें
और फिर भी
सबसे सुंदर भाषा-शरीर
शुद्ध, शाश्वत, निर्दोष
3.
स्टिकी नोट्स
अबकी बार
सारी आख़िरी बारें
बिन तारीख़ सारी अख़बारें
मेरे कोने की दो दीवारें
उन पर पक्की होती नई दरारें
जहाँ दिन की आख़िरी रौशनी
गिरती है औंधे मुँह
और हाथ पसारे
वहाँ टाँग दी गई हैं
रंग बिरंगे काग़ज़ के पुर्ज़ों से सना
ढलते सूरज का स्थायी पटल
स्मृतियाँ सुकून नहीं होतीं
और न ही ताक़ीद बनती हैं
वे सिर्फ़ स्मारक होती हैं
उन पलों का
जब हम जिए थे
4.
ट्रैफ़िक जाम
शामें
जो आधी ब्रेक लाइट्स
और आधी स्ट्रीट लाइट्स
में बँट जाती हैं
रातें
जो ख़्वाबों के ट्रैफ़िक जाम में
हैंड ब्रेक लगाए
एक ही जगह फुदकती रहती हैं
सड़कें
जो रैड लाइट्स के
मनके फेरती रहती हैं
बड़े शहर के जाम में
घर पहुँचना
याने टीस टालने का अभ्यास
हर शाम छुट्टी तो है
पर मुक्ति नहीं
5.
धूप
नॉस्टैलजिया हमेशा चला आता है
कॉफ़ी की ख़ुशबू में
कैफ़े के शोर में
पुरानी रोज़वुड मेज़ में
जैज़ पियानो के सी मेजर कॉर्ड में
धुँध की परछाईयों में
पीली स्ट्रीट लाइट में
फुटपाथ की टाइलों की गिनती में
पर कभी कभी
नॉस्टैलजिया आता है
धूप में
खुली बिखरी धूप,
आँखों का रंग भूरा कर देने वाली धूप,
भूरी आँखों से कुछ भी न दिखाई देने वाली धूप