चुनाव का समय था। प्रत्याशियों के चयन की प्रक्रिया चल रही थी। कुछ ‘करछुल’ हाईकमान के पास पहुंचे और तर्क देने लगे कि हमारे भैया को ही टिकट मिलना चाहिए कारण कि उनकी छवि बड़ी साफ-सुथरी है। उनके ऊपर चलने वाले आपराधिक मामले नहीं के बराबर हैं। ले-दे कर एक हत्या का आरोप है। बलात्कार के दो मामले हैं। गुंडागर्दी की दो तीन वारदाते हैं। ये सब फ़र्ज़ी हैं। भैया जी बड़े सात्विक जीव है। वैसे आजकल इतना आरोप तो चलता है। जबकि जो दूसरा नेता है उस पर तो हत्या के चार मामले चल रहे है। बलात्कारों की तो संख्या नहीं गिनी जा सकती। गुंडागर्दी के मामले में उसका कोई मुकाबला नहीं। उसे एक बार जिला बदर की कार्यवाही से भी गुजरना पड़ा था। इसलिए इंसाफ यही कहता है कि जो छोटा अपराधी है, उसको मौका मिलना चाहिए। आज के दौर में बेदाग प्रत्याशी खोजना गंजों के शहर में नाई की तलाश होगी।”
करछुलों के प्रस्ताव पर हाई कमान गंभीर होकर सोचने लगा। उसे लगा ये लोग ठीक कह रहे हैं। ज्यादा खराब छवि वाले को टिकट देकर पार्टी अपनी इमेज खराब क्यों करें। हाईकमान ने मुस्कराते हुए कहा, “आपकी बातों में दम है। हम इस पर विचार करेंगे। हमने भी यही तय किया है कि जो नेता कम बदनाम होगा, उसी को इस बार टिकट दिया जाएगा। अभी हमारी चयन समिति हर प्रत्याशी का बायोडाटा खंगाल रही है। वैसे बड़ी मुसीबत है। एक भी प्रत्याशी अभी तक बेदाग नहीं मिला। सब के दामन पर कुछ- न -कुछ काले दाग नज़र आ रहे हैं। हम यही देख रहे हैं कि किस के दामन में कितने कम दाग हैं। आपने जिस नेता का जीवन चरित्र हमारे सामने रखा है, उसे देखकर हमें उसके प्रति बड़ी श्रद्धा हो रही है। वह कितना सज्जन व्यक्ति है, जिसके खिलाफ सिर्फ एक हत्या का आरोप है। बलात्कार के सिर्फ दो मामले! ऐसे नैतिकवादी नेता अगर हमारी पार्टी में रहेंगे तो निसंदेह पार्टी का भविष्य उज्जवल होगा। इसलिए हम आंख मूंद कर उसे अपना प्रत्याशी बनाएंगे। हमें उम्मीद है कि जनता भी हमारे प्रत्याशी पर भरोसा करेगी कि यह उतना बड़ा अपराधी नहीं है जितना कि सामने वाली पार्टी का प्रत्याशी है।”
हाईकमान से हरी झंडी पाकर नेता द्वारा भेजे गए करछुल बड़े प्रसन्न हुए और ‘देश का नेता कैसा हो, अपने भैया जैसा हो’ के नारे लगाते हुए वापस लौट गए। भैया जी का टिकट पक्का हो गया, यह जानकर उन्होंने खुशी में रात को जबरदस्त कॉकटेल पार्टी दी । ‘खा- पी’ कर सारे करछुल टुन्न हो गए। दूसरे दिन से ही चुनाव जीतने की रणनीति पर काम चालू हो गया।
दूसरी तरफ भैया जी- टू भयंकर नाराज । अरे,हमारा पत्ता कट गया ? कोई बात नहीं। तू नहीं और सही ,और नहीं तो और सही। भैया जी -टू ने अपनी पार्टी को अलविदा कह दिया। अब वह दूसरी पार्टी में शामिल हो गए हैं। दूसरी पार्टी वालों ने उन्हें हाथों हाथ लिया। और बयान जारी किया कि “भैया जी-टू के आने के कारण हमारी पार्टी और अधिक मजबूत होगी ।”
भैया जी-टू ने कहा, ” पहली वाली पार्टी में मेरा दम घुट रहा था। मेरी उपेक्षा हो रही थी। मेरे जैसे महान नेता को हाशिए पर डालकर एक छूटभइये नेता को टिकट दे दिया गया। उस पर जो आपराधिक मामले चल रहे हैं, वे पूरी तरह से सही है। यह माना कि मुझ पर उससे ज्यादा मामले चल रहे हैं लेकिन मेरा हर मामला फर्जी है। मुझे फंसाया गया है। मैं तो शारीरिक दृष्टि से बहुत कमजोर हूं फिर भी बलात्कार के चार मामले मुझ पर दर्ज किए गए। मेरे खिलाफ साजिश की गई। लेकिन अब जाकर मेरी आत्मा को शांति मिली है कि मैं एक सही पार्टी में शामिल हो गया हूं।”
दूसरी पार्टी के प्रवक्ता ने कहा, “भैया जी – टू बड़े सात्विक किस्म के नेता हैं। उन्होंने कभी कोई अपराध नहीं किया। लेकिन उन्हें अपराधी की तरह पेश किया जाता रहा। उन्होंने कभी कोई गुंडागर्दी नहीं की। हां यह बात और है कि अगर उनको किसी ने छेड़ा तो भैया जी ने उसको छोड़ा नहीं। जमकर उसकी खबर ली।और यह होना भी चाहिए । इस तरह हम कह सकते हैं कि भैया जी-टू अन्याय के खिलाफ लड़ने वाले लोगों में से हैं। इसलिए पार्टी में उनका स्वागत है। हम उनका सुंदर उपयोग करेंगे और उन्हें अपनी पार्टी का टिकट देंगे। हमें विश्वास है कि भैया जी चुनाव जरूर जीतेंगे ।”
भैया जी -टू आत्मविश्वास से भरे हुए हैं। पिछले कुछ वर्षों में उन्होंने नंबर दो की जितनी भी कमाई की है, उसका मात्र बीस फीसदी चुनाव में खर्च करेंगे। उन्हें पूरा विश्वास है कि उनकी मार्केटिंग तगड़ी होगी और वह चुनाव जीतकर तहलका मचा देंगे। वह मीडिया को मैनेज करने में भिड़ गए हैं। अपने चाहने वाले विशिष्ट चमचों को जिम्मेदारियां दे रहे हैं। खाली पीली जिम्मेदारी नहीं, साथ मे है मनचाही रकम। अब देखना यही है कि भैया जी-वन जीतते हैं या भैया जी-टू।