यह जगह आरक्षित है
यह जगह आरक्षित है
कोई रो नहीं सकता
कोई पूछे तो कहना
यहाँ कोई रोया नहीं है
वह जगह यहाँ से
बहुत दूर है
जहाँ लोग रो रहे थे
हमने आज मरते
हुए देखा है लोगों को
रोते हुए लोगों को कल देखेंगे।
कुछ यादगार घटित नहीं हुआ मेरे साथ
कुछ याद नहीं है
कोई भी घटना
स्थान और दिन
याद नहीं है
कोई पूछे तो
सहम जाऊँगा
कुछ भी यादगार
घटित नहीं हुआ
मेरे साथ
इस समय कोई
प्रश्न करे
तो साधारण तथ्य भी
अबूझ जान पड़ता है
कोई सवाल उठाये
प्रेम के बारे में
संशय में डूब जाऊँगा
इस नृशंस समय में
प्रेम किसी से
किया भी कि नहीं
निष्पक्ष होकर
कुछ भी नहीं
कह सकता
घड़ी जो समय
दिखा रहा है
वह अपनों से
बिछड़ जाने
का समय है।
सूरज ढल रहा है
किसी कस्बे का
सूरज ढल रहा है
दूसरे और तीसरे
दिन भी
ढलेगा सूरज
रात विपदा की
तरह आती है
दिन आता है
सायरन की
आवाज़ के
पीछे-पीछे
मौत चलती है
आगे-आगे।
अप्रैल कनेक्शन
कहाँ से आता है प्यार
जो अप्रैल को थोड़ा सा
मुलायम बनाता है
कहाँ से आती है शाम
जो अप्रैल में
मुझे बहुत अकेला
कर जाती है
कहाँ से आती है
एक चिड़िया
जो अप्रैल में
पानी और प्यास
को गाती है
कहाँ से आती है
धूल भरी हवा
जो मनुष्य की आकृति को
धूमिल कर देती है
अप्रैल में
तुम्हारी बहुत याद आती है
अप्रैल में
जब कि मैं दूर हूँ
मेरा सुझाव है
अप्रैल को एक संम्भावना
की तरह देखो
खाली पड़े दोपहर में
धूप के छिलके पर
मैं घर का चित्र बनाता हूँ।
चलता हुआ आदमी
यह ज़रूरी नहीं है
कि समतल जमीन पर
चलता आदमी
हमेशा संतुलन बनाए
रखता है
वह गिर सकता है
अचानक दुःख की
खाई में
वह चढ़ सकता है
यादों के पहाड़ पर
वह उस आदमी से
टक्कर खाकर
संतुलन खो सकता है
जिससे मिलने की
उम्मीद में
वह हर दिन उन सड़कों
पर फिरता है
जहाँ जाना उसके लिए
जरूरी नहीं है
कोई आदमी समतल में भी
संतुलन खो सकता है
अगर उसका हाथ
थामने के लिए कोई
दूसरा हाथ न उठता हो।
द मार्च प्रोटोकॉल
कितनी शिष्टता है तुममें
जब कि मार्च इस बार
अपनी विशिष्टता खो चुका है
लोग फूलों की नहीं
अपनी बात कह रहे हैं
लोग अपनी उपलब्धियों से
मर रहे हैं
जो बच जायेंगे
वे अपनी गर्विता से ग्रस्त होंगे
मुझे संशय है कि
कोई एक मंत्रालय के
गठन का सुझाव देगा
जो आत्ममुग्ध लोगों के लिए
मंच तैयार करेगा
तुम्हारा शिष्टाचार एक
भयंकर रोग है
इस अशिष्ट समय में
तुम किसी रोग से नहीं
अपनी मृदुता से मारे
जाओगे मार्च में
निर्मल होगा कुएँ का पानी
किसी फल का स्वाद मीठा होगा
चिड़िया की आवाज़ होगी सुरीली
पर आदमी को देखो
कोई ऊँची सीढ़ी चढ़ रहा होगा
हाँफ रहा होगा
मार्च में
कोई आस-पड़ोस में नहीं होगा
हाथ बढ़ाने के लिए
दूर तक उसकी नजरों में
कोई मनुष्य नहीं होगा।
स्त्री तुम अपनी तरलता में नदी हो
मेरे आस-पास जो स्त्रियाँ हैं
और
जो बहुत दूर हैं
जो शहरों में हैं
सुदूर इलाकों में हैं
किसी घने कस्बे में हैं
वे अँधेरे में
रोशनी के फूल हैं
एक साधारण सी
दिखने वाली स्त्री
कितना चकित करती है
जब वह मुस्कराती है
और
कोई मामूली सी चीज़
कितनी सम्पन्नता से
भर जाती है
किसी स्त्री के छूए जाने से
देखता हूँ
स्त्री ध्यान मग्न रहती हैं
किसी काम में
मैं चिल्ला कर कहना चाहता हूँ
स्त्रियाँ तुम गतिशील हो
पृथ्वी की तरह
तुम्हारे पास अवकाश नहीं है
किसी नदी तक जाने के लिए
किसी पहाड़ को निहारना
नहीं शामिल है
तुम्हारी दिनचर्या में
तुम अपनी तरलता में एक नदी हो
अपनी अटलता में हो एक पहाड़
तुम्हारी छाया जब मुझ पर पड़ती है
वह एक फूल की तरह उभरती है
स्त्रियों
मुझे क्षमा करना
मैं खाली हाथ आया हूँ तुम्हारे पास।
उल्काएँ
उल्काएँ
गिर रही हैं
गिर रही हैं
मेरी आत्मा पर
मैं समय देवता को
शुक्रिया कहता हूँ
यह फूलों के
खिलने का समय है
यह मनुष्य के हँसने
का समय है
उल्कापात से कोई
घायल न हो
कोई क्षति न हो
एक कवि का
हृदय घायल हो
घायल हृदय की घाटी में
फूलों का मौसम जब उतरेगा
तुम आना
किसी आन्दोलन के बीच से
फूलों के बीज ले जाना
रोप देना
बच्चों की हथेलियों पर
उन्हें भेजना सुदूर देशों में
जहाँ मुश्किलों में हैं लोग
लोग बहुत उदास हैं
फूलों का धर्म
उनकी चेतना में
वसंत लायेगा
द फरवरी पोऐट
उसे मैंने कभी स्थिर नहीं देखा
जैसे मछलियों को कोई
कभी स्थिर नहीं देख सकता
उसका काम
तारों को आँधियों से बचाना है
उसकी आँखों में झाँकता है
एक सूखा पेड़
और
हरा हो जाता है
कोई चिड़िया न हो जिस पर्यावरण में
फूल पृथक हों मनुष्य के जीवन से
वहाँ उसे देखा है
वसंत को गाते हुए
वह कितनी बार
नदी को साथ लेकर आई है
और
मेरे तपते माथे पर अपना हाथ रखा है
वह आदतन चकित करती है मुझे
कल की ही बात है
बादल का टुकड़ा साथ लेकर आई
और
मेरे कुर्ते के ज़ेब में रख दिया
वह तो सार्वजनिक अवकाश का दिन था
गीले कपड़े में कौन जाता है दफ़्तर
वह
मेरे जीवन को उतना घेरती है
पृथ्वी को जितना घेरता है पानी
वह गिरती है मेरे समीप
बारिश की तरह
देखो
कितना आद्र है यह फरवरी।
तारे और लोग दोनों मृत्यु ग्रस्त होते हैं
तारे अँधेरे में मृत्यु ग्रस्त होते हैं
और
लोग मारे जाते हैं
दिन के उजाले में
समाचार पत्र आदमी के लापता
होने की सूचना देता है
कोई समाचार पत्र
लापता आदमी के लौटने की
खबर नहीं छापता
अपनी ख्याति को लेकर
आशंकित कवि
पेड़ से भी पूछता है
कौन क्या कहता है-
उसके बारे में
एक जर्जर वर्ष के खिलाफ़
कोई बयान मत दो
बस इतना कहो
हम सब शामिल नहीं है
किसी जलसे में।
नदी के बारे में सोचना
जब मैं सोचता हूँ नदी के बारे में
क्या नदी मेरे बारे में सोचती है
कई बार गया नदी के पास
नदी अकेले लौटने नहीं देती
गीली रेत आती है मेरे साथ
क्या थोड़ी सी नदी भी आती है
जीवन में कई ऐसे क्षण आये
जब मैं हाँफ कर नदी के पास गया
मैं उस समय और बहुत दिनों बाद भी
सोचता रहा
किसी नदी को हाँफते हुए न देखूँ
नदी ने कभी खाली हाथ लौटने नहीं दिया
कुछ चमकीले पत्थर हाथ पर रख दिए
बहुत दिनों से मन में एक बात आती है
दिसम्बर में अपना कोट
नदी को पहना आऊँगा
और
जब मैं एक ऐसे प्रदेश में हूँ
जहाँ दूर तक कोई नदी बहती नहीं है
चमकीले पत्थरों में
नदी तक जाने का रास्ता ढूँढता हूँ।