सूरज सरस्वती की पाँच कविताएँ
1. दुःख का दोआब हमारी पीढ़ी लोक देवताओं से माँगी मनौती से जन्मी है जब दुनिया की रूप-रेखा बदल रही...
मूलत: बनारस से। इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय से पत्रकारिता विषय में स्नातक। वर्तमान में नेशनल हेल्थ सर्विस (यूके) के लिए अनुवादक का कार्य कर रहे हैं।
1. दुःख का दोआब हमारी पीढ़ी लोक देवताओं से माँगी मनौती से जन्मी है जब दुनिया की रूप-रेखा बदल रही...
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