तिथि दानी की छह कविताएं
(एक) भरोसा भरोसा एक ऐसा शब्द था उसकी आत्मा जिसे जन्म जन्मांतर से घुटी बनाकर पी रही थी भरोसा तब ...
(एक) भरोसा भरोसा एक ऐसा शब्द था उसकी आत्मा जिसे जन्म जन्मांतर से घुटी बनाकर पी रही थी भरोसा तब ...
पुस्तक: प्रतिदर्श: कुछ निबंध (निबंध-संग्रह); लेखक: वागीश शुक्ल; प्रकाशक: सेतु प्रकाशन प्रा. लि., दिल्ली; वर्ष: २०२१; पृष्ठ: ५६० (सजिल्द); मूल्य: ...
1. कैसे लिखूँ? प्रेम लिखूँ! हठ बौराया है कैसे शब्दों का टोकना लिखूँ? उपमा उत्प्रेक्षा का रूठना कैसे स्मृतियों में ...
जब कोई आलोचक अपने विवेक का स्वतंत्रतापूर्वक सहारा लेने लगता है तब वह दूसरों के विवेक को परखने में भी ...
साहित्य चिंतकों में श्री भगवान सिंह अपने ढंग से विचार करते हैं। यही कारण है कि जब वह 'साहित्य की ...
ज्ञान चतुर्वेदी अपने व्यंग्य लेखन में जो बेअदबी दिखाते हैं, वह अदबी दुनिया की एक महत्त्वपूर्ण संघटना है। हालाँकि वह ...
डॉ. एम.डी. सिंह की कविताओं से मेरा पुराना परिचय है। विगत वर्षों में यह परिचय धीरे-धीरे घना हुआ है और ...
‘धर्मयुग’ ने साहित्यिक पत्रकारिता के क्षेत्र में जो कीर्तिमान रचा, वह आज भी स्पृहणीय है। ‘कल्पना’, ‘ज्ञानोदय’, ‘दिनमान’ और ‘साप्ताहिक ...
शौकत मियाँ को सब प्यार और सम्मान से शौकी चचा कहते थे। वे पान बहुत खाते थे। पान के स्वाद ...
समीक्ष्य कृति : जरूरी है प्रेम करते रहना कवयित्री : महिमाश्री पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के मेरे कक्ष ...
1. सत्यम को किसी चोर, उच्चक्के की भांति कॉलर खींचते हुए लाकर उनकी ओर धक्का देते हुए दारोगा महेंद्र यादव ...
(एक) आंसू ढलक गया तेरे चले जाने से दिल का कोई हिस्सा दरक गया और मेरी आँखों में छुपा हुआ ...
1. जीवन शब्द और रंग की चित्रकारी है रंग तुमसे है शब्द मैं जोड़ती हूँ सब घुलमिलकर अहसास हो जाते ...
1. जीवन अब ऐसे काल में है जब मृत्यु के बाद भी, गुणगान नहीं। कच्चे खोजियों के अधकचरे अन्वेषण से ...
1. जब तक रहेंगे मुल्क जब तक बनी रहेंगी सीमाएँ जब तक दो मुल्कों के बीच होगी बंदूकों की तैनाती ...
1. आख़िर कब तक नहीं बिखेरना चाहता है अब सूरज सुबह-शाम आसमान में सिंदूरी आभा खिलते हुए गुलाब भी दर्ज़ ...
(एक) जिन स्त्रियों ने मुझे प्रेम किया... जिन स्त्रियों ने मुझे प्रेम किया मेरे होंठ चूमे भरी दोपहरी में मेरे ...
(एक) ईश्वर की डायरी मन बड़ा अलसाया रहता है सुबह-सुबह बजाने लगते हो मेरे घर की घंटियां जोर-जोर से चैन ...
1. अलविदा जब भी अलविदा लिखने के लिए लिखा 'अ' हाथ कँपने लगे 'अ' के अकेलेपन को हर बार बदलकर ...
(एक) कोई मुफ़लिस के घर गये हैं क्या थोड़ा हद़ से गुज़र गये हैं क्या इन दिनों दर्द ...
कृति : जुर्रत ख़्वाब देखने की (काव्य-संग्रह) कवि : रश्मि बजाज अयन प्रकाशन, देहली, 2018 (पृ.सं.108) 1. "बन जाती है ...
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