जीवन अब ऐसे काल में है
जब मृत्यु के बाद भी,
गुणगान नहीं।
कच्चे खोजियों के
अधकचरे अन्वेषण से
जन्म ले रहीं
दिवंगत की अनेक छिछली प्रेम कहानियाँ
निरी अनर्गल और तथ्यहीन।
जिनसे संसार का परिचय
मात्र उनके कौशल पर आधारित है
उनके निजी जीवन की
मनगढ़ंत रंगीन कहानियाँ
मात्र लाइक्स और कमेंट्स के लिए
सोशल पटल पर परोसी जा रही हैं
और अचरज यह कि,
इस मिथक पर
वाहवाही की झड़ी भी लगी है
और सत्य है कि,
अपनी विवशता पर सुबक भी नहीं पा रहा।
जीवन अब ऐसे काल में है
जब विवेक आजीवन अवकाश पर है
और चिंतन आमरण शीतनिद्रा में है।
अब या तो विवेक सक्रिय हो
चिंतन जागृत हो
या फिर तैयार रहें,
एक अविवेकी और छिछले समाज के लिए।
2.
यादों के लिए,
मन का संकट यह रहा कि,
जो घटनाएँ विस्मृत करनी चाही
वही स्मृतियों पर क़ाबिज़ होती गईं
चिंतन के लिए,
मन की दुविधा यह रही कि,
प्रार्थना में एकाग्र करते हुए ही
वह सबसे अधिक भटकता गया
प्रेम के लिए,
मन को खेद रहा कि,
जहाँ से भी उसकी आस की
वहीं से वह उपेक्षित किया गया
संवेदना के लिए,
मन का कष्ट रहा कि,
‘अंतर’ के लिए उसका विह्वल होना सरल रहा
किंतु,
‘अंतरतम’ के लिए
उसकी भावप्रणवता कठोर होती गई
3.
सीख
किल्लत थी संवेदना की
और पराकाष्ठा पर अहम ।
भाषा होते हुए भी,
हम आपस में बतियाते न थे
भाव होते हुए भी,
बाँटते न थे एक-दूसरे से
हृदय होते हुए भी
पिघलते न थे किसी के दर्द से
सारे पाशविक गुण
स्वभाव में भर गए थे
आइसोलेशन में भयाक्रांत
विकल मानव,
अब समझ रहा
अपने वास्तविक स्वभाव को।
पर उसकी
असल परीक्षा अभी शेष है
महामारी के पश्चात्,
यदि वह पुन: भूलता नहीं
अपनी संवेदनशीलता का गुण
तब साबित होगा कि,
बुरे समय से
उसने सचमुच सीख ली
4.
सच
सच को जितना दबाओ
उसकी जड़
उतनी ही मज़बूत होती है
और फिर वह उभरता है
पहले से अधिक शक्तिशाली रूप में…।
सच दूब की तरह
अपनी कब्र से जीवित हो जाता है
इतिहास गवाह है,
सच को जितनी बार
मारने की कोशिश की गई
वह वहीं पर उतनी ही बार
अमर हुआ है,
कभी ईसा के रूप में,
कभी मीरा के रूप में…।
5.
सत्य-नश्वर
हाँ,
सत्य हो तुम
बस सत्य…
न तुममें प्रेम है न हर्ष
न ही तुम्हारा उत्सव होता है।
होती है
तो पीड़ा, शोक, चीत्कार।
मैं,
मिथ्या ही सही
किंतु,
मुझमें हर्ष है, पुलक है, प्रेम है
और है अनंत उत्सव…।
तुम अटल, अकाट्य हो
किंतु…,
स्वीकार्य कहाँ हो…?
मैं क्षणिक, नश्वर
किंतु,
सहज स्वीकार्य…।
हे परम सत्य!
यह भी सत्य है कि,
मातम पर उत्सव सदैव भारी है।