एक दृष्टि : कृष्णा सोबती : ‘बादलों के घेरे’ से
“औक़त न क़लम की /न लेखक की/न लेखन की/ज़िन्दगी फैलती चली गई/कागज़ के पन्नों पर/कुछ इस तरह ज्यों धरती में...
२००८ में छत्रपति शाहूजी महाराज, कानपुर विश्वविद्यालय से ‘स्वातंत्र्योत्तर हिन्दी कहानियों में मध्यवर्ग’ विषय पर पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त। २०१० से दिल्ली विश्वविद्यालय के महाविद्यालय में हिन्दी विभाग में सहायक प्रवक्ता पद पर कार्यरत। हिंदी साहित्य से जुड़ें भिन्न-भिन्न विषयों पर राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों में पत्र प्रस्तुति व उनका प्रकाशन। जनसत्ता, परिकथा, लमही, पाखी, आजकल, पक्षधर, माटी, हमारा भारत व अन्य प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में लेख प्रकाशित। भारतीय जन लेखक संघ के दिल्ली क्षेत्र की उपाध्यक्ष।
संप्रति- सहायक प्रवक्ता, हिन्दी विभाग, कमला नेहरू कॉलेज (दिल्ली विश्वविद्यालय), नई दिल्ली-४९
“औक़त न क़लम की /न लेखक की/न लेखन की/ज़िन्दगी फैलती चली गई/कागज़ के पन्नों पर/कुछ इस तरह ज्यों धरती में...
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