अपर्णा की दो ग़ज़लें
1. दफ़्न करके हसरतों को मुस्कराना आ गया ज़िंदगी हमको तेरा कर्ज़ा चुकाना आ गया //१// थी अना की एक...
मूलत: भोपाल से। लगभग दो-तीन सालों से ग़ज़लें लिख रही हैं। साहित्य पढ़ने, लिखने और संगीत का शौक है।
1. दफ़्न करके हसरतों को मुस्कराना आ गया ज़िंदगी हमको तेरा कर्ज़ा चुकाना आ गया //१// थी अना की एक...
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