जूली जानवी की पाँच कविताएँ
1. ज़िंदगी ज़िंदगी छोटी हो चली और सपने बड़े...बहुत बड़े इतने कि, हमने छोटे छोटे सपनों का गला घोंट दिया...
1. ज़िंदगी ज़िंदगी छोटी हो चली और सपने बड़े...बहुत बड़े इतने कि, हमने छोटे छोटे सपनों का गला घोंट दिया...
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