ज़िंदगी ज़िंदगी छोटी हो चली
और सपने बड़े…बहुत बड़े
इतने कि, हमने
छोटे छोटे सपनों का गला घोंट दिया
महज इतनी सी बात थी
कि, हम हर छोटी बातों को गले लगाते
तो कितना ही अच्छा होता!
जीवन जीने के लिए ऑक्सीजन चाहिए
नहीं, चाहिए खुशियाँ भी
जो रिस रहीं आजकल किसी भी कोने से
इसे थाम लीजिए
दूसरों को भी थमा दीजिए
पीठ करके सोने से कहीं अच्छा है
सोया ही क्यों जाए
जागकर इंसान की शक्ल में हम पेश हो जाएँ।
आसपास कितने दु:ख सहे गए
हम कुछ न कर पाए
अगर हम महसूस न कर पाए
तो इससे बड़ा क्या ही दु:ख होगा
मैं सुन रही हूँ आजकल
कितनी आसानी से फ़रिश्तों ने बचाए कितने दु:ख
हर कोई कुछ न कुछ दु:ख बचा सकता है।
माँ हमेशा कहती थी,
कोशिश करनेवालों की हार नहीं होती।
2.
यात्रा
जीवन की अनंत यात्राओं में,
तुम्हारा साथ मुझे सार्थक करता है।
जैसे कि जल नदी को
आसमान चाँद तारों को
और बच्चे अपनी माँओं को करते हैं सार्थक।
दुनिया में तैरती हुई हर मुस्कान
तुमसे होकर गुजरे,
तुम्हारे आँखों में हमारे प्रेम की लंबी यात्रा हो।
जब तुम वाकई साथ होते हो
तब दुनिया में और कुछ नहीं बचता
सिवाए प्रेम के…
3.
तुम्हारा होना
तुम्हारे होने से कंधा खुद को सुरक्षित महसूस करता रहा
लेडिज फ़र्स्ट की आवाज से हर बार तन गया सीना
तुम्हारे हाथ में वो जादुई दुनिया थी
जो आसमा उठा लेने का हौसला रखती थी
तुमने छत को धूप, बारिश, आँधी तूफ़ान से बचाए रखा
तुम बने आसमान हमारी दुनिया के
तुम्हारे होने से ही धरती बनी रही धरती
वरना ये धरती ये दुनिया सब बंजर होते
तुमने आँसू को रखा सिराहने
मजबूत खंभे बने रहे हर विपरीत परिस्थितियों में
तुम्हारी आह घर की देहली तक न जान पाई
हम बस तुम्हें बाहर से जानते रहे
तुमने खुद को खुद से ही समेटे रखा
हँसते हँसाते रहे आँगन को
तुमने अपनी पीठ पर बच्चों के साथ
घर की सारी बलाएँ लाद ली थी
तुम्हारे होने से घर बना रहा घर
दुनिया बनी रही दुनिया!
4.
प्रेम
कुछ अनछुई कहानियाँ
अपने ही बियाबान में कैद होकर जाती हैं
जिसे हम महसूस तो करते हैं
पर शब्द नहीं दे पाते
आइए झकझोरते हैं खुद को
जैसे पेड़ को झकझोरे जाने पर
उतर आते हैं सूखे पत्ते…
कल परसों नरसों अनेक ऐसी घटनाएँ घटीं
जिसे रोज लिखा जा सकता था
पर नहीं लिखा गया
क्योंकि वो साधारण रहा?
लिखा जाता रहा सदियों से इतिहास
राजाओं का पराक्रम
जिसने राज्य के लिए
कितने मासूमों की बलि ली
पाँच रानी का पति सम्राट लिखा गया
जोधा को हरनेवाला वीर अकबर कहा गया
अनेकानेक सच दबाए गए…मिथ्या को पहचान मिली
खैर, आज
जब भी समस्याओं पर लिखा गया
विवाद हुए और बस विवाद हुए…
झोंपड़ी के बच्चों ने दूध की जगह पानी पिए
उन माँओं ने पूरी दोपहरी खेत को दिए
जिसने अनाज के गोदाम भरे
उनके बच्चे पेट खाली सो गए
क्या लिखा गया उनका दर्द…
लिखा जाता है केवल टाटा, बिरला, अंबानी
दिल्ली और सरकार…
प्रेम को लिखा जाना केवल शृंगार रस माना गया
भाव भीगा, पर इसको इतिहास में
लैला मजनू से इतर कब लिखा गया
प्रेम को ज्यादा लिखना पढ़ना बोलना
समाज को कब ही रास आया
प्रेम को खूब लिखा जाना चाहिए
समाज का सुंदर स्वरूप प्रेम से ही तो संभव है!
5.
मुझे मुझसे प्यार है
ज़िंदगी के उन हसीन लम्हों को
जिन्हें हम चूमकर कह सकते थे
हाँ मुझे मुझसे प्यार है
जाने दिया…
बस इसलिए कि, वो बुरा मान जाएँगे
अरे हुजूर,
अब बस कीजिए, दुनिया की परवाह तब तक कीजिए
जब तक वो आपकी परवाह करे
तो कहकर देख ही लीजिए
मुझे मुझसे प्यार है…
मुस्कराने के एक भी बहाने न टाले जाए
फ़ूलों की बात फ़ूलों से की जाए
परिंदे आसमान से ऊपर जाए
बच्चों को मस्ती के सारे रंग तोहफ़े में दे दिए जाए
और बेफ़िक्री में धुआँ संग कभी हम घुल जाए