क्षणिकाएँ
1. आंखों में दिख जाएगा छुप नहीं सकते तुम खुद अपने आप से, निगाहें तो मिलाओ दर्पण में जनाब से!...
शिक्षा: एम.एससी., बी.एड., एम.फिल., प्रवीण (शास्त्रीय संगीत)
निवास: आगरा (उत्तर प्रदेश)
प्रकाशन: प्रतिष्ठित पत्रिकाओं—साहित्यनामा, अभ्यंतर, छत्तीसगढ़ मित्र, गुरुकुल, चित्रगुप्त, नर्मदा, मधुशाला प्रकाशन आदि में रचनाएं प्रकाशित।
1. आंखों में दिख जाएगा छुप नहीं सकते तुम खुद अपने आप से, निगाहें तो मिलाओ दर्पण में जनाब से!...
दबे पांव तृष्णाएं घेर लेती हैं एकांत पा, विचारों की बंदिनी बन असहाय हो जाती है चेतना। अवचेतन मन घुमड़ने...
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