कल्याणी की चार कविताएँ
धूप का कतरा रेशा रेशा पिघलती हूं मैं तेरे नशे में, मानो एक कतरा धूप का मिला, बरसों के अंधेरे...
अंग्रेज़ी साहित्य में स्नातकोत्तर। हिंदी साहित्य के प्रति बचपन से रूझान और घर-परिवार में शुरू से एक साहित्यिक माहौल के कारण विभिन्न भाषाओं के साहित्य से गहरा लगाव।
नवांकुर साहित्य सभा द्वारा आयोजित काव्यांकुर-7 प्रतियोगिता, 2019 अंक में देश भर से भाग लेने वाले नए रचनाकारों की कविताओं की सूची में पहला स्थान प्राप्त। साथ ही, अनेक सामाजिक माध्यमों के द्वारा अंग्रेज़ी और हिंदी की कविताओं का प्रकाशन।
संप्रति, दिल्ली सरकार के सर्वोदय कन्या विद्यालय में अतिथि अंग्रेज़ी शिक्षिका।
धूप का कतरा रेशा रेशा पिघलती हूं मैं तेरे नशे में, मानो एक कतरा धूप का मिला, बरसों के अंधेरे...
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