चलो फिर लौट चलते हैं सभी अब गांव ही अपने
सुनहरे कल की आंखों में सजाए ख्वाब को अपने, चले आए शहर में छोड़ कर परिवार को अपने। ये सोचा...
जन्म: 1977, गाजीपुर, उत्तर प्रदेश
शिक्षा: एम.ए.(हिन्दी), काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, बी.एड.
सम्प्रति: स्नातकोत्तर शिक्षक (हिन्दी), केन्द्रीय विद्यालय, गाजीपुर
प्रकाशन: अमर उजाला, हिन्दुस्तान, व स्थानीय पत्र पत्रिकाओं में लेख व रचनाएं प्रकाशित
संपादन: गत तीन वर्षों से नगर राजभाषा गाजीपुर की पत्रिका "राजभाषा दर्पण" का संपादन, विभिन्न विद्यालयों की पत्रिकाओं का संपादन
सुनहरे कल की आंखों में सजाए ख्वाब को अपने, चले आए शहर में छोड़ कर परिवार को अपने। ये सोचा...
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