शालिनी मोहन की दस कविताएँ
(1.) मौन मौन सघन वन में अनाम वनस्पति होता है शब्द न ओस बनते हैं न फूल (2.) टेढ़ी-मेढ़ी लकीरें...
मूलत: पटना बिहार से। वर्तमान में बंगलुरू कर्नाटक में निवास। पटना विमेंस कालेज, पटना विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में बी.ए. करने के पश्चात् सिम्बायोसिस, पुणे से एमबीए की पढ़ाई। कुछ साल नौकरी करने के बाद, लेखन में रुचि होने के कारण इस क्षेत्र से जुड़ी।
प्रकाशन: दैनिक भास्कर, अमर उजाला सहित विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में कविताएँ प्रकाशित। अहसास की दहलीज़ पर साझा काव्य संग्रह के.जी. पब्लिकेशन द्वारा वर्ष 2017 में प्रकाशित। रश्मि प्रकाशन, लखनऊ से कविता संग्रह 'दो एकम दो' वर्ष 2018 में प्रकाशित।
(1.) मौन मौन सघन वन में अनाम वनस्पति होता है शब्द न ओस बनते हैं न फूल (2.) टेढ़ी-मेढ़ी लकीरें...
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