वंदना वात्स्यायन की दो कविताएँ
गंगा की कल-कल धारा कहती तू रूक जा रे मैं कहती गंगा तू बहती जा रे। तट है, तेरा बड़ा...
बिहार में जन्मी वंदना वात्स्यायन जी ने एमबीए की उपाधि प्राप्त की है। लगभग एक दशक पूर्व अमेरिका पहुंचीं। हिन्दी साहित्य में गहरी रुचि। कविता एवं कहानी लिखती हैं तथा फ़ोटोग्राफ़ी में दिलचस्पी है। विभिन्न कवि सम्मेलनों में भाग ले चुकी हैं।
सम्प्रति, साहित्य सृजन तथा न्यूजर्सी अमेरिका में निवास।
गंगा की कल-कल धारा कहती तू रूक जा रे मैं कहती गंगा तू बहती जा रे। तट है, तेरा बड़ा...
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