मेरा देश
(१) मेरा देश, हमारी पहचान। हम उसे नकारते रहे, धिक्कारते रहे लाट साहब बने दुनिया घूमते रहे, इतराते रहे। (२)...
कल्पना सिंह जी के हिंदी काव्य-संग्रहों में बिहार राजभाषा से पुरस्कृत 'चाँद का पैवंद', 'तफ़्तीश जारी है' और 'निशांत' के नाम उल्लेखनीय हैं।
कल्पना सिंह जी की कविताओं का प्रकाशन हंस, पहल, साक्षात्कार, वर्तमान साहित्य, दस्तावेज़ और विदेश की प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं में हुआ है। इनकी रचनाओं का अनुवाद कई भाषाओं में किया गया है।
बुद्ध की धरती गया में जन्मी कल्पना सिंह ने मगध विश्वविद्यालय से राजनीति शास्त्र में एम.ए. की शिक्षा प्राप्त की, और कुछ समय के लिए गया कॉलेज, गया, में अध्यापन कार्य भी किया। १९९४ में अमेरिका आने के बाद इन्होंने 'न्यूयॉर्क फिल्म अकादमी' से फिल्म निर्देशन की शिक्षा हासिल की, और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी (HarvardX) से, "Buddhism Through Its Scriptures" का अध्ययन भी किया।
अंग्रेजी में कल्पना सिंह-चिटनिस के नाम से लिखने वाली कल्पना के अंग्रेजी काव्य संग्रह 'बेयर सोल' को २०१७ में लेबनॉन के 'नाजी नामन लिटरेरी प्राइज फॉर क्रिएटिविटी' से सम्मानित किया गया।
(१) मेरा देश, हमारी पहचान। हम उसे नकारते रहे, धिक्कारते रहे लाट साहब बने दुनिया घूमते रहे, इतराते रहे। (२)...
सर्दियों की धूप चाय के प्याले में गुनगुनी धूप बचपन का आंगन। महीन धागों सी उठती भाप की लकीरें उड़ाती...
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