तारो सिन्दिक की छह कविताऍं
(1.) जवान हो रहा मेरा गाँव इन दिनों मैं मिल रहा हूँ उस मिट्टी से पहाड़ से नदी से जंगल...
राजीव गांधी विश्वविद्यालय, अरुणाचल प्रदेश से हिंदी साहित्य में पीएच.डी.। काव्य-संग्रह 'अक्षरों की विनती' और 'हिन्दी तागिन अध्येयता कोश' पुस्तकें प्रकाशित। साहित्य अकादेमी युवा पुरस्कार-2017 से सम्मानित। बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन द्वारा 'शताब्दी सम्मान-2018', हिन्दी साहित्य सम्मेलन प्रयागराज द्वारा 'सम्मेलन सम्मान-2018', अरुणाचल हिन्दी संस्थान द्वारा 'अरुण हिन्दी साहित्य सम्मान-2018'। संप्रति, सहायक प्राध्यापक (हिंदी), देरा नातुङ शासकीय महाविद्यालय, ईटानगर, अरुणाचल प्रदेश।
(1.) जवान हो रहा मेरा गाँव इन दिनों मैं मिल रहा हूँ उस मिट्टी से पहाड़ से नदी से जंगल...
गाँव शहर की बासी हवाओं में घिरकर तरस जाता हूँ लौट जाने को उस अबोध गाँव में जिसने, प्रकृति की...
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