द्वार खटखटाया गया
भीतर उसके
एक मद्धिम दीया जल रहा था
द्वार खोलकर देखा तो
बाहर विस्मय का धुंआ
जोर से उठ रहा था
वह भीतर घुस आया और
दृढ़ता से अपना हाथ
उसकी तरफ बढ़ाया
वह फटी आंखों से देखती रह गई
ऐसे, जैसे डूबता हुआ आदमी
बोलने का प्रयत्न तो करता है
पर बोल नहीं पाता…
साथ चलो, अब और देर मत करो
विचित्र अन्तर्द्वन्द्व करवट बदलकर उसे पागलपन की तरफ
घसीटने लगा
अंधे रास्तों और अंधेरे भविष्य वाला कोहरा दिलो दिमाग पर
छा चुका था…
उसने अपनी आत्मा को उतारकर अलगनी पर टांग दिया
भीतर की काई
क्षीण स्पंदन की भांति सांसें ले रही थी
उसकी हड्डियों की नींव पर
किसी के साम्राज्य का महल
खड़ा हो चुका था…
उसका आगमन, आज
अखबारों की सुर्खियों में था…!
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2. हलाहल
पहली बार, वह हलाहल
उसकी आंतों में चुभा था
पहली बार, धमाधम पैरों की
चाप से
संगीत की धुन निकली थी
और उस धुन पर उसका रोम-रोम थिरक उठा था
पहली बार, धरती की
झुलसी हुई उदासी पर
वसंत दहक उठा था
क्योंकि!
पहली बार, किसी ने
देह से परे जाकर उसके
अंतस के सौंदर्य को सहलाया था
हां!
पहली बार, किसी ने,
झुककर उसका अभिवादन किया था।
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3. फैसले की तारीख
आज,
फैसले की तारीख है
खात्मे से पहले दोनों युद्धविराम की स्थिति में आ गए हैं
आंखों ही आंखों में
संधि-पत्र पर हस्ताक्षर किए गए
विशाल इमारत लड़खड़ाकर गिरने ही वाली थी कि,
एक दृढ़ निश्चय के साथ
वह कस कर दम खींचते हुए उठी,
आज न तो पैर कांप रहे थे, न ही कोई भय लग रहा था
इसलिए
वह न चीखी, न चिल्लाई और न ही रोयी
हठात ही आश्चर्यरूप से स्वयं पर काबू पा लिया
कहानी, फिर अपने घावों के वर्णन के साथ आगे बढ़ने के लिए तैयार थी
और वक़्त…
अपनी काल्पनिक मृत्यु पर फुट-फुट कर रो रहा था…!
हृदय की भावनाओं का,
ऊष्मा की कचहरी में अंत हो चुका था…!
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4. अलविदा
पर्वत सी देह
कटार सी आंखें
वीभत्स हंसी और
उत्तेजना का अंगराग
उसे अलंकृत करने के लिए
इतना काफी था
पहले एक-दूसरे के सम्मान में
गीत गाये गए
फिर नाच की धुन शुरू हुई
जब आनंद का दरिया बह निकला और
नाचते-नाचते
उसकी आँखों में
नमी आ गई, तो
वह पहले से भी बढ़िया नाचने लगी
प्रेम के पंखों की मृदुल उड़ान
के साथ-साथ
धूप का खिलना और बर्फ का पिघलना
सब कुछ अद्भुत था
जब वह नाच-नाचकर थक गई
तो रुखसत का आखिरी गाना गाकर
इस तमाशे को खत्म करने का
निश्चय कर लिया
और पीछे छोड़ कर गई
सम्पूर्ण आत्मसमर्पण का भाव
छोड़ गई तीव्रता से जलती
प्रेमाग्नि की शांत कौंध
छोड़ गई शांत-गंभीर वातावरण में
चिरशांति के महाशब्द…
अलविदा …!!!