ऐसा क्यूं होता है!
जब भी मन उदास होता है
तुम कहीं आस-पास होते हो
कभी तन्हाइयों में
तुम्हारी मौजूदगी का भास होता है
कभी इत्र से सराबोर
तुम्हारा सुवासित आभामंडल
यादों के समुंदर में डूबा देता है
तो कभी…
प्रेम रस में भिगो देता है
ऐसा क्यूं होता है…प्रियवर!
तुम्हारे स्पर्श की अनुभूति
चेहरे पर संकोच की लालिमा,
और आंखों में प्रेम का
उन्माद भर जाती है
हया से झुकी नजरें,
बेवजह होठों पर मुस्कराहट
तुम्हारे अगाध प्रेम का
अहसास करा जाती है
ऐसा क्यूं होता है…प्रियवर!
जी लेने दो अपनी यादों के साये में
बाहर दर्द का घोर अंधेरा है
बरसों से तुम्हारी स्निग्ध छवि का
मेरे दिल में बसेरा है
जहां तुम हो
वहीं मेरा सवेरा है…!