कभी कभी चुप रहना
चुप रहना नहीं होता
उस मौन का महत्त्व बस घटित होता है
मौन को कहने और सुनने वाले
दोनों के मन में
ये दुनिया का सबसे सार्थक संवाद है
इस संवाद से
संसार समृद्ध होता है समझदारी के द्रव्य से
इस संवाद से
संसार की उम्र बढ़ती है
इस संवाद से
डरी सहमी शांति को
साहस मिलता है
इस संवाद की चर्चा
भगवान के दरबार में होती है
और वहां से माफी मिलती है मानवों को
मानवता का समय बढ़ाया जाता है
धरती पर रहने के लिए।
2. हम असहाय हैं
सबकुछ ठीक चल रहा है
संसद में भी
समाज में भी
सड़क पर भी
मैदान में भी
खेत में भी
खलिहान में भी
यहाँ सबकुछ वैसे ही चल रहा है
जैसा कि चलना चाहिए
ठीक केवल नहीं चल रहा
हमारे अंदर का असंतोष
हमारे अंदर का क्षोभ
हमारे अंदर का द्वंद्व
हमारे विचारों का छंद
अंततः कुछ भी ठीक नहीं चल पाता
क्योंकि बाकी सबकुछ हमें ही चलाना है
हमारे अंदर का बे-ठीकपन
बाकी सबकुछ गड़बड़ कर रहा है
और हम दोष राजनीति को दे रहे हैं
ये हमारी बेवकूफी का प्रमाण है
कि सारी शक्तियाँ हमारे हाथ में होते हुए भी
हम असहाय हैं
निरीह हैं
दया के पात्र हैं
और जोर से चिल्ला रहे हैं
‘हमारी मॉंगें पूरी करो।’
बेटियों की सुरक्षा की बात
करना
कोई जागरूकता की नहीं
बल्कि उन्हें कमजोर
माने रहने की
कमजोर मनवाते रहने की
एक नपुंसक कर्म है
जिसे समाज बड़े
पुरुषार्थ के साथ
कर रहा है।सुरक्षा की बात
जब तक जारी रहेगी
सुरक्षा जब तक एक कार्य माना
जाता रहेगा
जबकि सुरक्षा एक
नैसर्गिक स्थिति होनी चाहिये।
हम नहीं भटकते अपने सपनों के चुनाव में
हम नहीं भटकते अपनी ही नाव में
हम नहीं भटकते रोटी की गोलाइयों में
हम नहीं भटकते गिरने के बाद खाइयों मेंहम भटकते हैं ठहरे होने पर
कि कौन सा पथ अपनाया जाए
कि हर पथ पर मुश्किलों की तादाद ज्यादा है
हम भटकते हैं जब सुनने लगते हैं
हर उस कहानी को
जिसमें अपना किरदार असफल पाया जाता है
हम भटकते हैं उसी जगह से
जहाँ पर हमें सोचना था और फिर समझना था
कि हमारी सोच और समझ आगे बढ़ने पर ही
बढ़ेंगे
रुके रहने पर उनका सीमित होना लाजिमी है।
हम भटकते हैं उस अहंकार के पोषण से
जिससे हमको लगता है कि
भटकना मुझसे हो ही नहीं सकता।