भीष्म प्रतिज्ञा
सोचा एक प्रतिज्ञा कर के
अब मैं उसको भीष्म करूँ
जग चाहे मनुहार करे
कुल प्रतिज्ञा की रक्षा करूँ
महिमा मंडन है कीर्ति है
भीष्म-प्रतिज्ञा लेने वालों की
एडजस्टमेंट के नाम पर
न टस मस होने वालों की
दोहरा लिया फिर महाभारत
पलट लिए सब कालक्रम
अब अपनी निज निष्ठाओं का
करिये थोड़ा तापमान कम
मोहपाश की भीष्म प्रतिज्ञाएँ
महाभारत की नींव होती हैं
महाभारतों की विषैली विभीषिका
आम आदमी को लूट लेती है
सीखना है दरके हुए इतिहास से
होना है थोड़ा थोड़ा लचीला हर क्षण
जैसे लचीला लचीला लोकतन्त्र
जैसे लचीली कविता कोई मुक्त छंद
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दो भारत
मिट्टी का घर टाट पुआल
दूसरा शहर इमारत है
भारत में दो भारत हैं
ई घूर तपाकर ठंड भगाएँ
ऊ गर्मी पैसों से आनत हैं
भारत में दो भारत हैं
यह रोज़ नीपता ग्राम गोसाईं
वह काम वाली के सलामत है
भारत में दो भारत हैं
इसने कमाए नाते बटियार
उसका तो पड़ोसी भी नदारद है
भारत में दो भारत हैं
यहाँ खुले दूध का शुद्ध उठौना
वहाँ पैकेट में भी मिलावट है
भारत मे दो भारत हैं
भोर को उठकर साँझ घर आएँ
अपन आधी रात को खाएँ दावत हैं
भारत में दो भारत हैं
यहाँ धूल मिट्टी लकड़ी के खिलौने
वहाँ टैब मोबाइल की आफ़त हैं
भारत में दो भारत हैं
यहाँ खुली हवा में धूमन भीनी
वहाँ सघन स्मॉग से बाबत है
भारत में दो भारत हैं
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ऊबना
ऊब जाते हैं हाँ करते करते
ऊब जाते हैं ना करते करते
दूसरों की मर्ज़ी मानने से भी
ऊबना चाहिए कभी कभी
ऊब जाती है औरत फ़ीकेपन से
ऊब जाती है औरत शृंगार से भी
चिपड़े फटते हैं लिपस्टिक में होंठ
पीले पड़ते हैं पॉलिश हुए नाखून
ऊब जाता है आदमी प्रश्नों से
ऊब जाता है आदमी चुप्पी से
चहलकदमी से दुख गए पैर
आराम कुर्सी में अकड़ गई कमर
ऊब गया बच्चा खेलते खेलते
ऊब गया बच्चा रोते रोते
फेंक दिया चहेता खिलौना
उतर गया गोदी से सलौना
ऊब गया प्रेमी फ़ोन पर
ऊब गयी प्रेमिका चैट पर
हूँ हाँ कुछ कहो और बताओ
उम्र बितानी है प्यार पर
मन लगाने के ढूॅंढे सब साधन
मिलता नहीं श्रांत को विश्रांत
ऊब गए सब एकाकीपन से
किसी ने खोजा नहीं एकांत
Do Bharat anubhaw ko kavita me ukerne ka safal prayas hai.
Dhnywad
बहोत ही वेहतरीन कविता वास्तविकता को बयां करती हुई,भारत में 2 भारत??