‘जब व्हेल पलायन करते हैं’—यूरी रित्ख्यू का रूस के चुकची प्रायद्वीप की दंतकथा पर आधारित अपने तरह का अनोखा, अप्रितम उपन्यास है. यह नाउ और रिऊ की प्रेमकथा है. यह उपन्यास मनुष्य और प्रकृति के रागात्मक संबंधो की बात करता है कि धीरे-धीरे कैसे मनुष्य अपने मूल स्वभाव प्रकृति से दूर हो जाता है. यह हमारी कल्पना में नहीं है जो जगह सर्वथा बर्फ से ढकी रहती हो वहां जीवन कैसे पलता है?
सोवियत का यह सुदूर चुकची प्रायद्वीप जहां नाउ एकमात्र मानव है. उसे पता नहीं वह क्या है. नाउ ने खुद को हवा, हरी घास, बादल, आकाश समझा. फिर भेड़िया, गिलहरी, लोमड़ी समझा. वह प्रकृति से एकाकार है. वह रोज सुबह तट पर आती थी और व्हेल-धारा को निहारती थी. उसने अपनी रूमानियत भरी फंतासी का नाम भी रख लिया—रिऊ. वह रिऊ की आँखों से अपने को देखने लगी. अब वह रिऊ की गर्म चमकीली नीलिमा में एकाकार होने को व्याकुल होने लगी. उस संवेदन को व्हेल भी महसूस करता है और एक दिन वह व्हेल पुरुष रूप में उससे मिलता है. उसे अपनी ऊष्मा और तरलता से छूता है. वो एक दूसरे के स्पर्श को महसूस करते, हाथ थामे-थामे घूमते हैं. नर्म घासों में बिना कुछ कहे लम्बे मौन को गाते हैं. उनका मिलन महा प्रणय में बदल जाता है. राऊ तट पर नाउ के साथ घर बसाने का हर जोखिम उठाता है. वे दोनों एक दूसरे से अनन्य प्रेम करते और प्रेम की ताकत से बर्फीले तूफान का, सभी विपरीत परिस्थिति का सामना करते है, भोजन जुटाते… तट और समुद्र में राऊ की आवाजाही बड़ी ही सामान्य सी बात थी. नाउ दो व्हेल शावक की माँ बनती है. व्हेले शावक तट तक उसका दूध पीने आते और बड़े होते ही वह अपना भोजन स्वयं जुटाने के लिए दूर चले जाते हैं, झील उनके लिए छोटी पड़ जाती है. नाउ फिर माँ बनती है. इस बार मानव रूप में बच्चे होते हैं. पिता अपने दायित्व का निर्वहन करते हुए एक सीख दे विदा हो जाते हैं— “यह ना भूलना समुद्र में तुम्हारे सम्बन्धी है. उन्हीं से तुम उत्पन्न हुए हो और प्रत्येक व्हेल तुम्हारा सम्बन्धी है.”
नाउ अनंत काल के लिए जीती है. एनु, कोमो, क्ल्याऊ, गीवू सबके जीवन के ढंग को देखती आई है. वह कई यारंग बदलती है. गीवू की पीढ़ी तक ये सुदूरवर्ती गर्म प्रदेशों की यात्रा करने लगते हैं. गीवू के काल में छह स्लेज भर कर बौने के रूप में जो रोग आते हैं उन्हें भी ये दूर भगा देते हैं. अब उनकी सभ्यता में नृत्य गीत शामिल हुआ, वस्त्रों की विविधता बढ़ी, खाने में नाना प्रकार के व्यंजन इजाद हुए और कुल मिला कर सभ्यता उतरोत्तर विकास करती गयी.
आर्मागिर्गिन तक आते आते जीवन पर भोग और विलास हावी होता जाता है. जीवन मूल्य और प्रेम प्रसंग बदल जाते हैं. आर्मागिर्गिन व्हेलों को भद्दा और काला कहता है और उन्हें भाई नहीं मानता. वह उनका एहसान नहीं मानता. नाऊ ऐसा अनुभव करती है जैसे, “कोई मुझे हर जगह छुरा घोंप रहा हो.” अपनी संततियों के लिए धीरे-धीरे मिथक में बदलती जाती है.
यह उपन्यास अतीत और भविष्य को एक सूत्र में पिरोता है और जीवन देने का सूत्र देता है. यह कथा आपको प्रेम के आदिम राग के संगीत के जादू में भिगो देगी. लोककथा का जादू. लगभग पंद्रह दिन हुए पर अब तक मुझ पर इसका जादू तारी है.
पुस्तक का नाम— जब व्हेल पलायन करते हैं
रचयिता— यूरी रित्ख्यू
अनुवाद—शोभाराम शर्मा
मूल्य—100 रुपए
प्रकाशक का नाम और पता— संवाद प्रकाशन , आई -499, शास्त्रीनगर , मेरठ- 250004, उ.प्र.