विराट अनुभवों की महागाथा : पारिजात
नासिरा शर्मा साहित्य जगत का ऐसा नाम है जो साहित्य जगत में अपने बेबाक लेखन के लिए जानी जाती हैं। ...
नासिरा शर्मा साहित्य जगत का ऐसा नाम है जो साहित्य जगत में अपने बेबाक लेखन के लिए जानी जाती हैं। ...
मानो कल की बात होटेबल पर नया कैलेंडर सज गयादिन बीतते गएपर यादों का काफिला सदाबहारजानते हुई भी बेसुध रहीपीर ...
धर्मयुग यानी हिंदी पत्रकारीय जगत का एक मानक। जिसमें छपना और उसे पढना दोनों ही उस कालखण्ड के लिए खास ...
कागज़ होता तो वो चूमती उसे लेकर शायद उसका नाम भी लेकिन सबकुछ मायावी था तारों में, जालों में मशीन ...
मेरी प्राणजा, मैथिली, जनकदुलारी, वैदेही, जानकी प्रिय उर्मिले, ये पत्र तो सीता जीजी के लिए है! मेरे इन संबोधनों को ...
हर व्यक्ति अपने जीवन में कई किरदारों को जीता हैं उसके व्यक्तित्व की पहचान इस बात से होती है कि ...
हंसती खेलती मेरी दुनिया, एक दिन बेरंग हो गई।कुछ समझ ही न पाई मैं , उसके चले जाने के बाद।पहले ...
पुस्तक ‘जारी अपना सफ़र रहा’ का लोकार्पण हुआ अप्रैल 7, 2019. वरिष्ठ साहित्यकार रामदरश मिश्र के आवास पर हिंदी अकादमी ...
भारत में सभ्यता और संस्कृति शब्द जनसामान्य में प्रायः एक ही उद्देश्य से प्रयुक्त किए जाते हैं परन्तु इन दोनों ...
‘धारणा’ काले, बड़ी-बड़ी जालियों वाले मोज़े पहनने वाले को भ्रम है ..... पैर नंगे नहीं ...
संवेदनशीलता किसी भी समाज की पूँजी होती है, जिसके नींव पर सभ्यता खड़ी होती है। अपने आसपास के जरूरतमंद व ...
समकालीन हिंदी कविताओं में मदन कश्यप काफी चर्चित और पठित कवि हैं ।आम आदमी के हक-हकूक के लिए वे पूर्ण ...
तुम कल भी माँ थी किसी की, किसी की थी बहन, बेटी और पत्नी और आज भी हो पूजता आ ...
‘मंगल भवन अमंगल हारी’ है साहित्य का ध्येय : डॉ. कमल किशोर गोयनका सुप्रसिद्ध साहित्यकार एवं केंद्रीय हिंदी शिक्षण मंडल ...
चुनाव का समय था। प्रत्याशियों के चयन की प्रक्रिया चल रही थी। कुछ 'करछुल' हाईकमान के पास पहुंचे और तर्क ...
हम सभी के बचपन में हर कहानी की शुरुआत हमेशा ‘एक था राजा’ से होती थी। वह राजा भी सर्वगुण ...
उनका टिकट फिर कट गया। इस बार पूरी उम्मीद थी कि जनता की सेवा करने का टिकट उन्हें ही मिलेगा। ...
“औक़त न क़लम की /न लेखक की/न लेखन की/ज़िन्दगी फैलती चली गई/कागज़ के पन्नों पर/कुछ इस तरह ज्यों धरती में ...
भारत की आत्मा सनातन है, भारतीयता केवल एक भौगोलिक परिवृत्ति की छाप नहीं, एक विशिष्ट आध्यात्मिक गुण है, जो भारतीय ...
साहित्य को लेकर चिंताएं फिर बढ़ने लगीं हैं। भूमंडलीकरण और इलेक्ट्रानिक माध्यमों के कुहरीले घटाटोप में उसके स्वरूप के दबने, ...
'और बता क्या हाल है?' 'अपना तो कमरा है, हाल कहाँ है?' 'ये मसखरी की आदत नहीं छोड़ सकती क्या?' ...
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