कभी तो जरूर आना... जैसे पलाश के फूल आते हैं बसन्त आने पर जैसे गुलमोहर खिलता है पतझड़ जाने पर...
Read moreदबे पांव तृष्णाएं घेर लेती हैं एकांत पा, विचारों की बंदिनी बन असहाय हो जाती है चेतना। अवचेतन मन घुमड़ने...
Read moreमैंने ईमान की तरह बरती किताबें किताबें ही मेरी संगी रही, मैंने किताबों से प्यार किया। जीवन के घनघोर नैराश्य...
Read moreहुआ द्रौपदी का हरण चीर है, फिर भी धर्म परम वीर है। सत्ता के द्युत में भी जब धर्म निहित...
Read moreएकदम साफ नीले रंग का आकाश था हवा भी मीठी मीठी सी थी मैं प्रकृति का आनंद उठाने के लिए...
Read more1. वातानुकूलित कमरे में तुम मुझे याद नहीं आते अपने अध्ययन कक्ष में जब लिखते पढ़ते पसीने से तर-ब-तर सो...
Read moreढूंढता हूं किरमिच की गेंद समय की झाड़ियों में अब तक उठती है भाप बचपन की परोसी थालियों से कई...
Read moreऔर एक दिन उठने लगी गंध जिंदा लोगों की लाशों से। एक उन्मत्त घोड़े ने रौंद डाली थी, पूरी कौम...
Read moreधान रोपती औरतें गाती हैं गीत और सिहर उठता है खेत पहले प्यार की तरह धान रोपती औरतों के पद...
Read more1) जिंदगी को खुशी और गम दे गया मुश्किलों में जीने का हुनर दे गया मेरी जिंदगी की गुरबतें ले...
Read moreमन के अरण्य मेंभावनाओं की ओस से भीगी कुशा परनंगे पैर घूमना ठीक, इसी प्रकार हैतुम्हारे प्रेम में मेरे मन का होनानम...
Read moreलगे कुछ कुछ खराब सा अब गिरे, तब गिरे, पिए तो भी ग़म से घिरे, बेशकीमती है नजर जिसकी, हर...
Read moreमानो कल की बात होटेबल पर नया कैलेंडर सज गयादिन बीतते गएपर यादों का काफिला सदाबहारजानते हुई भी बेसुध रहीपीर...
Read moreकागज़ होता तो वो चूमती उसे लेकर शायद उसका नाम भी लेकिन सबकुछ मायावी था तारों में, जालों में मशीन...
Read moreहंसती खेलती मेरी दुनिया, एक दिन बेरंग हो गई।कुछ समझ ही न पाई मैं , उसके चले जाने के बाद।पहले...
Read more‘धारणा’ काले, बड़ी-बड़ी जालियों वाले मोज़े पहनने वाले को भ्रम है ..... पैर नंगे नहीं...
Read moreतुम कल भी माँ थी किसी की, किसी की थी बहन, बेटी और पत्नी और आज भी हो पूजता आ...
Read more1. दामन नहीं भिगोया होगा, पर, अन्दर से रोया होगा। पहुँचे आज बुलंदी पर जो, सोचो क्या-क्या खोया होगा। आज...
Read moreएक सीप, पा समंदर को मचल उठी; इतरा उठी पा गई वह शांति सागर की उत्तुंग लहरों में खुद को...
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